मेधा पाटकर ने खत्म किया अनशन, राज्य सरकार के साथ होगी बातचीत


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नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के लिए संघर्षरत मेधा पाटकर ने सोमवार को अनशन खत्म कर दिया. मध्य प्रदेश सरकार ने अपने पूर्व मुख्य सचिव एससी बेहार को उनके पास भेजा था. बेहार ने पाटकर को जानकारी दी कि राज्य में कांग्रेस की सरकार ने इस मुद्दे के निवारण के लिए कदम उठाए हैं.

पाटकर ने 25 अगस्त को बदवानी जिला के नर्मदा के तट पर बसे एक गांव में अपना अनशन शुरू किया था. पाटकर सरदार सरोवर डैम को 138.68 मीटर के स्तर तक भरने का विरोध कर रही हैं.

पाटकर ने तर्क दिया है कि इससे 192 गांव और एक शहर प्रभावित होंगे. जिससे 32,000 परिवारों के सामने रहने-सहने का संकट पैदा हो जाएगा. उन्होंने कहा है कि सरकार ने अभी तक प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास का बंदोबस्त भी नहीं किया है.

9 सितंबर को पाटकर के भोपाल जाने की उम्मीद है. वहां वह घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से मिलेंगी. बताया जा रहा है कि अगर वह नतीजे संतोषजनक नहीं रहे तो वह फिर से राज्य की राजधानी भोपाल में धरना शुरू करेंगी.

सोमवार 2 सितंबर को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि उनकी सरकार एनबीए के साथ संपर्क में है. सरकार प्रभावित हुए लोगों की शिकायतें सुन रही है और उसको दूर करने की कोशिश में है. उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर परियोजना अंतर-राज्यीय योजना है. और कोई भी राज्य सरकार इसका फैसला अकेले नहीं कर सकती है.

एनबीए ने मध्य प्रदेश सरकार से गुजारिश की है कि वह गुजरात सरकार और केंद्र सरकार को जल स्तर को कम करने के लिए बाध्य करे. इसके साथ ही प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास का भी पूरी तरह बंदोबस्त करे.

इससे पहले राज्य के गृह मंत्री बाला बच्चन भी पाटकर से मिलने के लिए गए थे. उन्होंने पाटकर और उनके सहयोगियों से अनशन खत्म करने की गुजारिश की थी.

कमलनाथ ने कहा है कि उनकी सरकार ने जिला कलेक्टरों को पुनर्वास के बारे में पहले से खारिज किए गए दावों की फिर से जांच करने के आदेश जारी किए हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार को ऐसे 115 परिवार मिले हैं जिन्हें 60-60 लाख रुपये बतौर मुआवजा मिलेगा. सरकार ने कहा है कि वह गुजरात सरकार से पैसे आने का अभी भी इंतजार कर रहे हैं.

कमलनाथ ने नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण पर निष्पक्ष नहीं होने का आरेप लगाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार पानी जमा करने के गुजरात के फैसले का विरोध कर रही है.

कमलनाथ ने यह भी कहा कि नर्मदा घाटी के गांवों में कैंप्स लगाए जाएंगे. और प्रभावित लोगों के पुनर्वास के दावों की जांच की जाएगी.


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