पांच सालों में नवोदय में 49 बच्चों ने की आत्महत्या
बोर्ड परीक्षाओं में अपने बेहतर परिणामों के लिए मशहूर जवाहर नवोदय विद्यालय का नाम एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. लेकिन इस बार कारण बोर्ड के परिणाम नहीं हैं बल्कि आत्महत्या के मामले इसकी वजह हैं.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार की ओर से दायर की गई आरटीआई में पता चला है कि पिछले पाँच सालों में जवाहर नवोदय विद्यालयों में 49 बच्चों ने आत्महत्या की है. सुसाइड करने वालों में ज्यादातर बच्चे दलित और आदिवासी परिवार के थे. कुल 49 बच्चों में से 7 बच्चों के अलावा सभी बच्चे फांसी के फंदे से लटके पाए गए थे. इनके शवों को साथ में पढ़ रहे छात्रों या विद्यालय के स्टाफ द्वारा देखा गया था. इनमें से 11 बच्चे कक्षा 11 के थे और 15 कक्षा 12 से थे.
सुसाइड करने वालों में ज्यादातर भोपाल और लखनऊ क्षेत्र से
रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक सुसाइड के सबसे ज्यादा मामले भोपाल और लखनऊ क्षेत्र से हैं. 2013-2017 तक दोनों ही क्षेत्रों में यह आकड़ा 10 के पार रहा है. वहीं हैदराबाद क्षेत्र में 7, पटना क्षेत्र में 6, शिलॉग और पुणे में 5 और जयपुर क्षेत्र में 4 बच्चों के सुसाइड का मामला सामने आया है. सुसाइड करने वालों में ज्यादातर लड़के हैं.
बेहतर भविष्य के लिए खुला था नवोदय
जवाहर नवोदय विद्यालय की शुरुआत 1985-86 में हुई थी. नवोदय की शुरुआत देश के गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए की गई थी. इसका नाम बोर्ड परीक्षा में सबसे बेहतर परिणाम देने वाले विद्यालयों में शुमार है. यहाँ पर उच्च दर्जे की शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को रहने और खाने की सुविधा भी दी जाती है. देश में इस समय 635 नवोदय विद्यालय हैं. विद्यालय की 75 फ़ीसदी सीटें ग्रामीण बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं.
फिलहाल देशभर के नवोदय विद्यालयों में पढ़ने बाले बच्चों की संख्या 2.8 लाख है. 31 मार्च 2017 तक यह संख्या 2.53 लाख थी. जिनमें से साल 2013 में 8, 2014 में 7, 2015 में 8, 2016 में 12 और साल 2017 में 14 बच्चों ने आत्महत्या कर ली.