जातीय संघर्ष समेत 9वीं क्लास के तीन अध्यायों पर NCERT की कैंची
NCERT
त्रावणकोर की कथित निचली जाति की शनार महिलाओं के संघर्ष समेत तीन अध्यायों को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 9वीं कक्षा के इतिहास पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिले सुझावों के बाद एनसीईआरटी ने 9 वीं कक्षा की इतिहास की किताब समकालीन विश्व-I से तीन अध्यायों (करीब 70 पेजों) को निकाल दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, देश भर के छात्रों पर पाठ्यक्रम के बढ़ते बोझ पर मिले सुझावों के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह फैसला लिया है. मंत्रालय ने सफाई दी है ये कदम पाठ्यक्रम को ज्यादा व्यवहारिक बनाएगा और इससे छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम होगा.
ये नई किताबें छात्र इसी साल अगले महीने से शुरू होने जा रहे सत्र से पढ़ सकेंगे.
एनडीए सरकार के कार्यकाल में यह दूसरी बार है जब पाठ्यक्रम समीक्षा के तहत किताबों के अध्यायों पर कैंची चलाई गई है. इससे पहले साल 2017 में एनसीआरटी ने 182 किताबों में 1,334 बदलाव किए थे.
पाठ्यक्रम से हटाए गए तीन अध्यायों में पहला अध्याय ‘किसान और काश्तकार’ है. यह ‘पूंजीवाद के उभार’ और ‘उपनिवेशवाद ने किसान और काश्तकारों की जिंदगी कैसी बदली’ जैसे विषयों पर आधारित है. दूसरे अध्याय का नाम है ‘इतिहास और खेल: क्रिकेट की कहानी’, यह अध्याय भारत में क्रिकेट के इतिहास के साथ-साथ जातीय, समुदायिक और क्षेत्रीय राजनीति से क्रिकेट के संबंध पर रोशनी डालता है.
पाठ्यक्रम से हटाया गया तीसरा अध्याय परिधानों के सामाजिक इतिहास और सामाजिक आन्दोलनों को प्रभावित करने में उनकी भूमिका पर आधारित है.
पाठ्यक्रम से हटाया गया यह अंतिम अध्याय बताता है कि कैसे कथित ऊंची जातियों ने समाज की कथित निचली जातियों (शनार) को रूढ़िवादी परंपराएं मानने के लिए बाध्य किया.
शनार जाति के लोग ऊंची जातियों के सामने अपने शरीर पर कपड़े और साथ-साथ सोने के आभूषण, छाता, जूते आदि नहीं पहन सकते थे. क्रिश्चियन मिशनरियों के प्रभाव में शनार जातियों की महिलाओं ने धीरे-धीरे अपने शरीर को ब्लाउज आदि से ढंकने की शुरुआत की.
इस बदलाव के बाद दक्षिण में त्रावणकोर राज्य में मई 1822 में शनार जाति की महिलाओं पर ऊंची जातियों ने सार्वजनिक तौर पर हमले किए. इसके बाद आने वाले वर्षों में पहनावे को लेकर इन जातियों में कई हिसंक संघर्ष हुए.
एनसीआरटी के अधिकारियों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, प्रकाश जावड़ेकर के सुझावों के बाद विभाग ने गणित और विज्ञान के विषयों में सबसे कम कटौती करते हुए बाकी पाठ्यक्रमों में करीब 20 फीसदी की कटौती की है.