सोशल मीडिया प्रोफाइल आधार से जोड़ने पर शीघ्र निर्णय लेने की जरूरत: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्रोफाइलों को आधार से जोड़ने के मुद्दे पर यथाशीघ्र निर्णय लेने की आवश्यकता है.
जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा, ‘‘इस समय हमें नहीं मालूम कि क्या हम इस मुद्दे पर निर्णय कर सकते हैं या उच्च न्यायालय फैसला करेगा.’’
पीठ ने यह भी कहा कि कि वह इस मामले के गुण दोष पर गौर नहीं करेगी और सिर्फ मद्रास, बंबई और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में लंबित ऐसे मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की फेसबुक की याचिका पर निर्णय करेगी.
केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इन मामलों को हाई कोर्ट से सुप्रीम में स्थानांतरित करने पर कोई आपत्ति नहीं है.
तमिलनाडु सरकार ने 12 सितंबर को कोर्ट में दावा किया था कि फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया कंपनियां भारतीय कानून का अनुपालन नहीं कर रही हैं, जिसकी वजह से ‘अराजकता बढ़ रही है’ और ‘अपराधों की पहचान’ में मुश्किल आ रही है.
सरकार ने न्यायालय से उसके 20 अगस्त के आदेश में संशोधन का अनुरोध किया था जिसमें मद्रास हाई कोर्ट को निर्देश दिया गया था कि वह सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से जोड़ने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखे लेकिन कोई प्रभावी आदेश पारित करने से बचे.
प्रदेश सरकार ने कहा था कि हाई कोर्ट में सुनवाई काफी आगे बढ़ चुकी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 20 अगस्त के आदेश की वजह से उसने उन याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी थी.
विभिन्न आपराधिक मामलों का संदर्भ देते हुए प्रदेश सरकार ने कहा था कि स्थानीय विधि प्रवर्तन अधिकारियों ने इन कंपनियों से कई मामलों पर जांच और अपराधियों की पहचान के लिए जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई.
तमिलनाडु सरकार ने कहा था कि ये कंपनियां ‘भारतीय धरती से संचालित होने के बावजूद’ अधिकारियों से अनुरोध पत्र भेजने को कहती हैं और सभी मामलों में ‘पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने में विफल रहीं.’
प्रदेश सरकार ने यह भी कहा कि मद्रास, बंबई और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करने का फेसबुक का अनुरोध झूठे और भ्रामक कथनों से भरा हुआ है और यह अदालत को अपनी परोक्ष मंशाओं को लेकर दिग्भ्रमित करने का सीधा प्रयास है.
कोर्ट ने 20 अगस्त को केंद्र सरकार के साथ-साथ गूगल, ह्वाट्स एप, ट्विटर, यूट्यूब और अन्य को फेसबुक की याचिका पर नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था.
फेसबुक ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि सेवा प्रदाता आपराधिक मामलों की जांच में जांच एजेंसियों से आंकड़ा साझा कर सकता है या नहीं इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए जाने की जरूरत है क्योंकि इसके वैश्विक प्रभाव होंगे.