एनजीओ कर्मियों को देना होगा धर्मांतरण में शामिल नहीं होने का शपथ-पत्र


now states have power to constitute foreign tribunals

 

विदेशों से चंदा लेने वाले एनजीओ के अधिकारियों और उनके कर्मचारियों को धर्मांतरण से जुड़ी गतिविधियों में शामिल नहीं होने का शपथ-पत्र देना होगा. इससे पहले केवल एनजीओ के निदेशक को ही ऐसा प्रमाण पत्र देना होता था. गृह मंत्रालय की ओर से 16 सितंबर को जारी अधिसूचना में विदेशी चंदा (नियमन) कानून (एफसीआरए), 2011 में बदलाव की घोषणा की गई है.

इसके साथ ही अब एक लाख रुपये तक के निजी उपहार के बारे में सरकार को जानकारी देने से छूट दी गई है. पहले यह 25 हजार रुपये था.

इस अधिसूचना के मुताबिक, “एनजीओ के पदाधिकारियों, कर्मचारियों और प्रत्येक सदस्य को यह प्रमाणित करना होगा कि कि उसे किसी भी व्यक्ति को एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए न तो सजा हुई है और न ही दोषी ठहराया गया है.”

अब एनजीओ के कर्मचारियों को भी शपथ पत्र देना होगा कि वह ‘राजद्रोह’ या ‘हिंसा को बढ़ावा’ देने वाली गतिविधियों में शामिल नहीं हैं.

इसके साथ ही अगर किसी व्यक्ति को विदेशी यात्रा के दरम्यान मेडिकल खर्च के लिए विदेशी मदद मिलती है तो उसे इसकी जानकारी अब दो महीने की बजाय एक महीने के भीतर सरकार को देनी होगी.

केन्द्र में बीजेपी सरकार के आने के बाद विभिन्न कारणों से 18,000 एनजीओ को विदेशी चंदा लेने पर रोक लगा दी गई है.


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