वीएचपी की धर्म सभा का प्रमुख अखाड़ों ने किया बहिष्कार


 

अयोध्या में 25 नवंबर को आयोजित विश्व हिंदू परिषद की ‘धर्म सभा’ में तीन प्रमुख अखाड़ों में से केवल एक ही अखाड़ा शामिल हुआ.

‘द कारवां’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि वीएचपी के इस आयोजन से अयोध्या के दो प्रमुख अखाड़ों ने दूरी बनाई रखी. अयोध्या में तीन प्रमुख और उग्र रामानंदी अखाड़े हैं. इनमें से निर्वाणी और निर्मोही आखाड़ों ने वीएचपी के इस आयोजन से खुद को दूर रखा. क्षेत्र में सबसे कम प्रभाव रखने वाला दिगंबर अखाड़ा ही कार्यक्रम में शामिल हुआ.

ये वीएचपी और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के लिए बड़ा झटका है.

कारवां ने निर्मोही अखाड़ा के प्रमुख दिनेन्द्र दास से बात की. दिनेन्द्र का कहना है कि लोग अब इनकी राजनीति समझ गए हैं. उन्होंने कहा, “संघ की बैठक में भाग लेने और मूर्खों की तरह तालियां बजाने का क्या मतलब है? उन लोगों के लिए यह अच्छा होता कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे राम जन्माभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में तेजी लाने के लिए कुछ करते. इनके नाटक को लोग अच्छी तरह समझ चुके हैं.”

निर्वाणी अखाड़ा प्रमुख धरम दास का कहना है कि राजनीति करने वाले लोग साधुओं को भोला समझते हैं. वह कहते हैं कि धर्म सभा के आयोजन में सिवाए राजनीति के कुछ नहीं होता है.

हिंदू धार्मिक संगठन लगातार सरकार पर राम मंदिर पर अध्यादेश लाने का दबाव बना रहे हैं. परमहंस ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि अगर वो 5 दिसंबर तक राम मंदिर निर्माण पर कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं तो वे अगले दिन आत्मदाह कर लेंगे.

29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई करते हुए फैसला जनवरी 2019 तक के लिए स्थगित कर दिया था.


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