अब एम्स भी होगा संयुक्त प्रवेश परीक्षा का हिस्सा


judge reached aiims to account victim statement in unnao gangrape case

 

केन्द्रीय कैबिनेट ने बुधवार को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक को मंजूरी दे दी जिसका उद्देश्य भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 की जगह लेना और चिकित्सकीय शिक्षा क्षेत्र में बड़े सुधार करना है.

विधेयक को संसद के वर्तमान सत्र में पेश किया जाएगा. इसे दिसंबर 2017 में संसद में पेश किया गया था लेकिन यह 16वीं लोकसभा के भंग होने पर निष्प्रभावी हो गया था.

एनएमसी विधेयक में पोस्टग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश और मरीजों के इलाज हेतु लाइसेंस हासिल करने के लिए एक संयुक्त अंतिम वर्ष एमबीबीएस परीक्षा (नेशनल एक्जिट टेस्ट ‘नेक्स्ट’) का प्रस्ताव दिया गया है. यह परीक्षा विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का भी काम करेगी.

राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के अलावा संयुक्त काउंसिलिंग और ‘नेक्स्ट’ भी देश में मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में समान मानक स्थापित करने के लिए एम्स जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों पर लागू होंगे.

ख़बरों के मुताबिक़, ‘‘नये एनएमसी विधेयक में किये संशोधन के अनुसार, पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश ‘नेक्स्ट’ परीक्षा के परिणामों के आधार पर होगा जिसे देशभर में संयुक्त परीक्षा के तौर पर आयोजित किया जाएगा. इसलिए उम्मीदवारों को पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एमबीबीएस अंतिम वर्ष पास करने के बाद अलग अलग परीक्षाओं में नहीं बैठना पड़ेगा.’’

विधेयक में चिकित्सकीय शिक्षा, पेशे और संस्थानों के सभी पहलुओं के विकास और नियमन के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद की जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के गठन की व्यवस्था की गई है.

इसमें समिति को सलाह और सिफारिशें देने के लिए चिकित्सकीय सलाहकार परिषद के गठन की भी व्यवस्था की गई है.


ताज़ा ख़बरें