आठ मई को सीजेआई के साथ साजिश मामले की सुनवाई नहीं


review petition filed in ayodhya verdict

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के मामले में कथित रूप से फंसाने की साजिश के मामले में सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर उचित समय पर सुनवाई होगी.

न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने इस मामले का उल्लेख करते हुए इसे शीघ्र सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. पीठ ने शर्मा से सवाल किया, ‘‘इसमें जल्दी क्या है? आपने इसे दायर किया है और इसे उचित समय में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया जाएगा.’’

मनोहर लाल शर्मा ने पीठ से अनुरोध किया था कि उनकी याचिका आठ मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाए.

इस पर पीठ ने सवाल किया, ‘‘क्या जल्दी है? आपने याचिका दायर की है और यह सुनवाई के लिए आएगी.’’

पीठ ने कहा, ‘‘यह सामान्य प्रक्रिया में सूचीबद्ध होगी.’’’

न्यायमूर्ति एसए बोबडे ने कहा है कि मामले को सुनवाई के लिए किस बेंच में भेजा जाएगा यह अभी तय नहीं है.

याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में कई वकीलों को प्रतिवादी बनाया है. इनमें अधिवक्ता प्रशांत भूषण, शांति भूषण, कामिनी जायसवाल, वृन्दा ग्रोवर, इन्दिरा जयसिंह, नीना गुप्ता भसीन और दुष्यंत दवे जैसे अधिकवक्ताओं के नाम शामिल हैं.

याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि इनमें से कुछ अधिवक्ताओं की कार्रवाई तो ‘न्यायालय की अवमानना’ के समान है और प्रधान न्यायाधीश को बदनाम करने और उन्हें तथा शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों को नियंत्रित करने की ‘सुनियोजित साजिश’ है.

याचिका में अनुरोध किया गया है कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो को भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत इन सभी अधिवक्ताओं और इनके द्वारा संचालित गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने, उनकी गिरफ्तारी करने और 2010 से इनकी जांच करने का निर्देश दिया जाए.

अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस के हलफनामों पर विस्तार से सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने प्रधान न्यायाधीश को फंसाने की बड़ी साजिश और सुप्रीम कोर्ट में बेंच फिक्सिंग के आरोपों की जांच के लिए 25 अप्रैल को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक को नियुक्त किया था.

हालांकि, न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया था कि न्यायमूर्ति पटनायक प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ एक पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों पर गौर नहीं करेंगे. न्यायालय ने यह भी कहा था कि इस जांच के नतीजे आंतरिक समिति को प्रभावित नहीं करेंगे.


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