कश्मीर में 82वें दिन भी सामान्य जनजीवन प्रभावित, जामिया मस्जिद बंद रही


Normal life affected in Kashmir on 82nd day, Jamia Masjid remained closed

 

कश्मीर घाटी में सामान्य जन जीवन अब भी प्रभावित है जहां शहर के नौहट्टा इलाके में स्थित ऐतिहासिक जामिया मस्जिद लगातार 12वें शुक्रवार को भी जुमे की नमाज के लिए नहीं खोली गई.

अधिकारियों ने बताया कि जामिया मस्जिद के द्वार बंद रहे और इलाके में सुरक्षा बलों के कर्मियों की खासी तादाद में तैनाती की गई.

घाटी में पिछले दो महीनों से नौहट्टा की जामिया मस्जिद समेत कई बड़ी मस्जिदों या दरगाहों पर जुमे की नमाज की इजाजत नहीं दी जा रही है.

अधिकारी प्रत्येक शुक्रवार को संवेदनशील इलाकों में इस संदेह के आधार पर पाबंदियां लगा रहे हैं कि निहित स्वार्थ वाले तत्व बड़ी मस्जिदों पर जुटने वाले लोगों को उकसा कर विरोध प्रदर्शन भड़का सकते हैं.

हालांकि अधिकारियों का कहना है कि घाटी में कहीं भी कोई प्रतिबंध लागू नहीं हैं.

इस बीच पूरे कश्मीर में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा जहां अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाए जाने के बाद से लगातार 82वें दिन 25 अक्टूबर को भी गतिरोध जारी रहा.

घाटी में मुख्य बाजार और अन्य कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे जबकि कुछ इलाकों में तड़के कुछेक घंटों के लिए दो-चार दुकानें खुलीं. अधिकारियों ने बताया कि करीब 11 बजे तक इन दुकानों के भी शटर गिरा दिए गए.

अधिकारियों ने कहा कि निजी परिवहन सड़कों पर नजर आया लेकिन 24 अक्टूबर की तुलना में 25 अक्टूबर को इन वाहनों की संख्या कम थी.

ऑटो रिक्शा और कुछ अंतरराज्यीय कैब भी कुछ इलाकों में आते-जाते दिखे.

हालांकि सार्वजनिक परिवहन के अन्य माध्यम सड़कों से नदारद ही रहे.

अधिकारियों ने बताया कि इंटरनेट सेवाओं पर घाटी में अब भी रोक जारी है.

उन्होंने बताया कि स्कूल और कॉलेज खुले लेकिन विद्यार्थी नहीं दिखे क्योंकि उनकी सुरक्षा के प्रति चिंतित परिजन उन्हें घर पर ही रखना पसंद कर रहे हैं.

ज्यादातर शीर्ष स्तर के अलगाववादी नेताओं को एहतियात के तौर पर हिरासत में ले लिया गया है जबकि दो पूर्व मुख्यमंत्रियों -उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या तो हिरासत में लिया गया है या नजरबंद कर रखा गया है.

अन्य पूर्व मुख्यमंत्री एवं श्रीनगर से लोकसभा के मौजूदा सांसद फारुक अब्दुल्ला को विवादित लोक सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है. यह कानून फारुक के पिता एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला ने 1978 में लागू किया था जब वह मुख्यमंत्री थे.


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