देश भर में न्यायिक रिक्तियों को भरना जरूरी: सुप्रीम कोर्ट


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

सुप्रीम कोर्ट ने  कहा कि देश भर में निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों की भारी रिक्तियों को भरने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता है. पीठ ने 15 दिनों में उत्तर प्रदेश के 329 अधिकारियों की नियुक्ति को पूरा करने को कहा है.

शीर्ष न्यायालय ने 24 हाई कोर्ट और 36 राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों द्वारा इस सिलसिले में की गई प्रगति की निगरानी करते हुए यह टिप्पणी की.

पीठ ने इस तथ्य पर हैरानी जताई कि हरियाणा में 14,000 लॉ ग्रेजुएट में से सिर्फ नौ लोगों को जूनियर सिविल जज के पद के लिए चुना गया.

न्यायालय ने कहा, ‘‘किसी न किसी विश्वविद्यालय ने अवश्य ही उन्हें लॉ की डिग्री दी होगी. आपने सिविल जज के 14,000 पदों में सिर्फ नौ के लिए उन्हें उपयुक्त पाया.’’

गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों की 5,000 से अधिक पदों पर रिक्तियों पर पिछले साल 22 अक्टूबर को संज्ञान लिया था और उच्च न्यायालयों, राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों से सूचना मांगी थी.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले अदालत कक्ष में 29 राज्यों एवं सात केंद्र शासित क्षेत्रों के विधि सचिव शीर्ष न्यायालय के एक आदेश पर उपस्थित हुए.

न्यायिक अधिकारियों की रिक्तियों को भरे जाने के लिए 30 जून तक उनके द्वारा की गई प्रक्रियाओं की ताजा स्थिति से न्यायालय को उन्हें अवगत कराने को कहा गया था.

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘इससे(न्यायिक रिक्तियों) से अधिक महत्वपूर्ण कुछ नहीं हो सकता. यदि जरूरत पड़ी तो हम इस मामले को पूरे दिन सुनेंगे.’’ इस विषय की 31 जुलाई को भी सुनवाई होगी.

 


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