अनुच्छेद 370 पर अगला कदम सुप्रीम कोर्ट का रुख


artist Inder Salim and journalist Satish Jacob move sc against scrapping of J&K’s special status

 

बीजेपी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया. जिसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा में पेश किया. विधेयक के तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. जम्मू-कश्मीर की अपनी विधान सभा होगी जबकि जबकि लद्दाख बिना विधानसभा के केंद्र के प्रत्यक्ष शासन के अंतर्गत रहेगा.

विधेयक राज्यसभा में पास हो गया है.

सरकार के इस फैसले पर जहां विभिन्न वर्गों और राजनीतिक पार्टियों की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है, वहीं इस बीच उम्मीद की जा रही है कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिल सकती है. साथ ही सरकार द्वारा अनुच्छेद 367 में संशोधन करते हुए संविधान सभा की जगह विधानसभा का दर्जा दिए जाने के कदम को भी चुनौती मिलने की संभावनाएं हैं.

अगर अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फैसले को कोर्ट में चुनौती मिलती है तो यह देखना दिलचस्प रहेगा कि सुनवाई तक इस अनुच्छेद को हटाए जाने का फैसला रद्द कर दिया जाएगा या फिर सुनवाई के बाद ही फैसला सुनाया जाएगा.

न्यायिक चश्मे से देखें तो सरकार का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के 2016 के फैसले के खिलाफ जाता है. जिसमें जस्टिस कुरियन जोसेफ और रोहिंटन फली नरीमन की बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि “लंबे समय से भारतीय संविधान में मौजूद इन प्रावधानों ने स्थायी रूप ले लिया है, जिसे अब निरस्त नहीं किया जा सकता.”

बेंच ने अपने फैसले में इस बात पर भी ध्यान दिया कि “जम्मू-कश्मीर के संबंध में अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है. पर अनुच्छेद 369 से अलग है क्योंकि यह अनुच्छेद लागू होने के बाद पांच साल तक ही वैध था. अनुच्छेद 370 के संबंध में ऐसी कोई समय सीमा उल्लेखित नहीं है.”

इन सब बातों को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने फैसले में कहा कि “अनुच्छेद की वर्तमान में जरूरत है और यह तब तक लागू रहेगा जब तक अनुच्छेद के उप-खंड (3) में निर्दिष्ट घटना नहीं होती.”

2018 में भी जस्टिस एके गोयल और नरीमन की बेंच ने इन्हीं बातों को दोहराते हुए कहा कि “प्रावधान को अब रद्द नहीं किया जा सकता.”

सुप्रीम कोर्ट के अलावा साल 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने अनुच्छेद की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी. कुमारी विजयलक्ष्मी झा ने 370 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए अपनी याचिका में कहा कि “अनुच्छेद 370 का लागू रहना देश के नागरिकों के साथ लगातार हो रहा धोखा है.”

हाई कोर्ट ने तब सुप्रीम कोर्ट के 2016 के फैसले का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी थी.

झा ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद अब यह मामला कोर्ट में लंबित है. बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने भी इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 के तहत राज्य को विशेष प्रावधानों की खिलाफ याचिका दाखिल की. उन्होंने अपनी याचिका में कहा, “संविधान बनाते समय अनुच्छेद 370 को अस्थायी रूप से जगह दी गई, जिसे अब खत्म किया जाना चाहिए.”

जिसके बाद कोर्ट ने उपाध्याय की याचिका को इस संबंध में लंबित अन्य मामलों के साथ जोड़ने के निर्देश दे दिए. अब क्योंकि अनुच्छेद 370 हटा दिया गया है तो ऐसे में इन याचिकाओं को कोर्ट अर्थहीन करार देते हुए खारिज कर दे.


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