सात साल में 17 फीसदी बढ़ी गायों की संख्या


Number of cows increased by 17 percent in seven years

 

पिछले सात साल में पशुधन की संख्या में मामूली वृद्धि होने के बावजूद गायों की संख्या में 18 फीसदी की वृद्धि हुई है. भारत में पिछले सात साल में पशुओं की संख्या में 4.6 फीसदी वृद्धि हुई है.  भारत की पशुधन आबादी 2012 की तुलना में बढ़कर 53 करोड़ 57.8 लाख हो गई है जबकि इसी दौरान गायों की संख्या 18 प्रतिशत बढ़कर 14 करोड़ 51.2 लाख हो गई है. ताजा जनगणना में यह जानकारी दी गई है.

पशुधन गणना 2019 में पता चला कि भेड़, बकरी और मिथुन की आबादी दोहरे अंकों में बढ़ी है, जबकि घोड़े और टट्टू, सूअर, ऊंट, गधे, खच्चर और याक की गिनती में गिरावट आई है.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”देश में कुल पशुधन की संख्या 53 करोड़ 57.8 लाख है, जो पशुधन गणना 2018 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है.”

राज्यों में, पश्चिम बंगाल में पशुधन संख्या में सर्वाधिक 23.32 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इसके बाद वृद्धि के मामले में तेलंगाना (22.21 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (15.79 प्रतिशत), बिहार (10.67 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (11.81 प्रतिशत) का स्थान है.

हालांकि, उत्तर प्रदेश (1.35 प्रतिशत), राजस्थान (1.66 प्रतिशत) और गुजरात (0.95 प्रतिशत) में पशुधन में गिरावट हुई है.

पशुधन की इस 20 वीं जनगणना के अनुसार, गोधन की हिस्सेदारी 35.94 प्रतिशत, बकरी (27.8 प्रतिशत), भैंस (20.45 प्रतिशत), भेड़ (13.87 प्रतिशत) और सूअर (1.69 प्रतिशत) है.

वर्ष 2012 की जनगणना की तुलना में गोधन, भैंस, मिथुन और याक की संख्या एक प्रतिशत बढ़कर 30 करोड़ 27.9 लाख हो गई. मिथुन अरुणाचल प्रदेश का राज्य पशु है.

बयान में कहा गया है, ”वर्ष 2019 में देश में कुल गोधन (गाय-बैल) की संख्या 19 करोड़ 24.9 लाख है, जो पिछली जनगणना की तुलना में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. इसमें मादा गोधन (गायों की आबादी) 14 करोड़ 51.2 लाख है, जो पिछली जनगणना (2012) के मुकाबले 18 प्रतिशत बढ़ी है.”

विदेशी या क्रॉसब्रीड तथा स्वदेशी मवेशी की आबादी क्रमशः पांच करोड़ 4.2 लाख और 14 करोड़ 21.1 लाख है. पिछली गणना की तुलना में वर्ष 2019 में स्वदेशी / गैर-विवरणी मादा मवेशियों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

पिछली गणना की तुलना में वर्ष 2019 में कुल विदेशी या क्रॉसब्रीड मवेशियों की आबादी 26.9 प्रतिशत बढ़ी है.

भैंसों की कुल संख्या लगभग एक प्रतिशत बढ़कर 10 करोड़ 98.5 लाख हो गई, जबकि गायों और भैंसों सहित दुधारू पशुओं (दूध दे रहे और शुष्क) की गिनती 12 करोड़ 53.4 लाख है, जो पिछली जनगणना से छह प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.

आंकड़ों के मुताबिक, देश में वर्ष 2019 में कुल भेड़ें सात करोड़ 42.6 लाख हैं, जो पिछली गणना से 14.1 फीसदी अधिक है.

नवीनतम गणना के अनुसार, बकरियों की संख्या 10 प्रतिशत बढ़कर 14 करोड़ 88.8 लाख हो गई है लेकिन सुअर की संख्या 12 प्रतिशत घटकर 90.6 लाख है.

कुल मवेशियों में मिथुन, याक, घोड़े, टट्टू, खच्चर, गधे, ऊंट सहित अन्य पशुधन का 0.23 प्रतिशत का योगदान हैं और उनकी कुल संख्या 12.4 लाख है.

ताजा गणना रपट के अनुसार देश में 2019 में गधों की संख्या 61 फीसदी घटकर 1,20,000 रह गई, जबकि ऊंटों की संख्या 37 फीसदी घटकर 2,50,000 रह गई है.

बयान में कहा गया है, ”देश में वर्ष 2019 में कुल घोड़े और टट्टू 3.4 लाख (3,40,000) हैं, जो पिछली गणना के मुकाबले 45.6 प्रतिशत कम है.”

मंत्रालय ने कहा कि पशुधन के अलावा, वर्ष 2019 में कुक्कुट की संख्या लगभग 17 प्रतिशत बढ़कर 85 करोड़ 18.1 लाख हो गई है.

चूंकि दिल्ली में जनगणना अभी पूरी नहीं हुई है, इसलिए इस रपट में दिल्ली के आंकड़े पिछली गणना के हैं.

16 अक्टूबर को जारी गणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल पशुधन में 75 फीसदी संख्या मादा पशुधन की है.

जानकारों का मानना है आंकड़ों से पता चलता है कि लोग पशुओं का पालन मांस की बजाय दूध के लिए कर रहे हैं. इसके साथ ही मादा पशुओं को पैदा करने की तकनीक की वजह से इस तरह का जेंडर गैप सामने आया है.

सरकार उन्नत और दुधारू नस्ल के प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद दे रही है.
देशी गाय के संवर्धन के लिए केन्द्र सरकार राष्ट्रीय गोकुल मिशन और राष्ट्रीय गोकुल ग्राम कार्यक्रम चला रही है.

साल 2012 की तुलना में पॉल्ट्री की संख्या 17 फीसदी बढ़कर 8510 लाख हो गई है. इनमें 5340 लाख पॉल्ट्री का पालन व्यवसायिक और 3170 लाख पॉल्ट्री का पालन घरेलू स्तर पर होता है.

20वें पशुधन गणना में 6.6 लाख गांवों और 89,000 शहरों के 27 करोड़ घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को शामिल किया गया.


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