जम्मू-कश्मीर: पांच नेताओं ने रिहाई के लिए बॉन्ड पर हस्ताक्षर किए


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कश्मीर घाटी से धारा 370 के हटाए जाने के सन्दर्भ में कश्मीर घाटी के कम से कम पांच नजरबंद रजनीतिक नेताओं ने अपनी ने अपनी रिहाई को सुरक्षित रखने के लिए एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर किए हैं.

अपराध प्रक्रिया संहिता (Cr.Pc) धारा 107 द्वारा बनाए गए निरोध में बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने वाले राजनेताओं ने वचन दिया है कि वे अपनी रिहाई के बाद किसी भी तरह की रजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे.

बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में हुर्रियत नेता मीरवाइज फारूक, नेशनल कांफ्रेंस के दो पूर्व विधायक, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का एक विधायक और पीपल्स कांफ्रेंस पार्टी का एक नेता शामिल हैं.

पिछले साल 21 नवम्बर को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मालिक ने राज्य की विधानसभा को भंग कर दिया था.

अपराध प्रक्रिया संहिता (Cr.Pc) धारा 107 के तहत रिहाई बांड पर हस्ताक्षर करने के बाद इसका अगर कोई भी इसका उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ गिरफ्तारी सहित कानूनी कार्रवाई शुरू की जा सकती है. प्रतिबंधित गतिविधियों में रजनीतिक भाषण देना भी शामिल है.

जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त से धारा 370 हटाए जाने के बाद से घाटी के कई राजनेताओं को सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए नजरबंदी और घर में हिरासत के तहत रखा गया है.

श्रीनगर में सरकारी स्वामित्व वाले होटलों को एक सहायक जेल में बदल दिया गया था और अब तक पूर्व आईएस शाह फैसल सहित कम से कम 36 नेता नजरबंद हैं. पीपल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद लोन और पीडीपी के युवा विंग के नेता वाहीद पारा सहित किसी ने भी बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए अपनी सहमति नहीं दी है.

अगस्त के महीने में लगभग 3000 लोगों को हिरासत में लिया गया था लेकिन बाद में दो-तिहाई को रिहा कर दिया गया था. एक अधिकारी के मुताबिक प्रभावी रूप से 1000 लोगों को अभी भी हिरासत में रखा गया है जिसमें कुछ पर पत्थर फेंकने के आरोप में पांच से छह मामले दर्ज हैं.

“घाटी के अधिकांश हिस्सों पर से प्रतिबंध हटा लिया गया है और अगले सप्ताह तक बीएसएनएल के पोस्ट-पेड मोबाइल मोबाइल नंबरों के कनेक्शनों को चालू करने की योजना बनाई गई थी. दुकाने अधिकांश भाग में बंद रहीं और और शाम के समय खुली.


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