सबरीमाला: पुलिस सुरक्षा नहीं मिलने के बाद वापस लौटीं कार्यकर्ता तृप्ति देसाई


on Sabarimala temple issue clash between women rights activist tripti desai and right-wing organisation come to halt

 

सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल उम्र की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ श्रद्धालुओं और तृप्ति देसाई के नेतृत्व में महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के बीच 12 घंटे से जारी गतिरोध मंगलवार की रात समाप्त हो गया.

दोनों के बीच गतिरोध तब समाप्त हुआ जब देसाई ने भगवान अयप्पा के दर्शन करने की अपनी योजना रद्द करने का फैसला किया.

पुलिस ने सुरक्षा कारणों से तृप्ति को श्रद्धालुओं, भाजपा और दक्षिणपंथी संगठनों के प्रदर्शन की वजह से मंदिर प्रवेश करने के लिए संरक्षण देने से मना कर दिया था जिसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र लौटने का फैसला किया.

तृप्ति ने  कहा, ”कोच्चि पुलिस आयुक्तालय में हमारी पुलिस अधिकारियों से चर्चा हुई और उन्होंने बताया कि हमारी जान को यहां खतरा है और हम सुरक्षित नहीं है. इसलिए हमने वापस लौटने का फैसला किया है लेकिन भविष्य में सबरीमला मंदिर लौटेंगे और हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.”

उन्होंने आयुक्त कार्यालय के समक्ष हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा महिला कार्यकर्ता बिंदू अम्मिनी पर हुए कथित हमले की भी निंदा की.

तृप्ति यहां अपनी पांच महिला साथियों के साथ मंगलवार की सुबह सबरीमला मंदिर के दर्शन करने के लिए पहुंची थी और उन्होंने घोषणा की थी कि मंदिर में दर्शन के बाद ही वह केरल से वापस जाएगी.

केरल सरकार ने देसाई के सबरीमला आने को साजिश करार दिया है. देसाई और उनके साथी जैसे ही हवाई अड्डे पर उतरे वे पुलिस आयुक्त कार्यालय गए और सबरीमला जाने के लिए सुरक्षा की मांग की.

हालांकि, पुलिस ने उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने के 2018 के फैसले की समीक्षा के चलते उन्हें सुरक्षा देने से इनकार कर दिया.

देसाई के पुलिस आयुक्त कार्यालय में पहुंचने की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में सबरीमला कर्म समिति और भाजपा कार्यकर्ता कार्यालय के समक्ष एकत्र हो गए और ‘अयप्पा शरणम’ का जाम करने लगे.

सूत्रों ने बताया कि देसाई के साथ आई केरल की कार्यकर्ता बिंदू अम्मिनी पर दक्षिणपंथी समूह के कार्यकर्ताओं ने मिर्च स्प्रे से तब हमला किया जब वह अपने वाहन से कोई कागजात लेने आयुक्त कार्यालय से बाहर आ रही थी.

टेलीविजन चैनलों पर भी इस हमले के फुटेज प्रसारित हुए. हमला करने वाले व्यक्ति की पहचान श्रीनाथ पद्मानाभन के रूप में की गई है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. उसके खिलाफ मामला मुकदमा दर्ज किया गया है.

अम्मिनी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई.

प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन पुलिस के आश्वासन देने के बाद बंद किया. पुलिस ने कहा कि वह महिलाओं को सुरक्षा मुहैया नहीं कराएगी.

पूरे घटनाक्रम पर सर्तक प्रतिक्रिया देते हुए माकपा नीत वाम मोर्चा की सरकार ने अम्मिनी पर हमले की निंदा की, लेकिन, साथ ही स्पष्ट किया कि प्रतिबंधित उम्र की किसी महिला को पुलिस सुरक्षा तब तक नहीं दी जाएगी जब तक इस संबध में सुप्रीम कोर्ट से आदेश नहीं लाते.

केरल के देवस्वओम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि देसाई के सबरीमला आने के पीछे साजिश है. त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड अध्यक्ष एन वासू ने कहा कि महिलाओं ने मंदिर आने की जानकारी नहीं दी थी.

सबरीमला मामले में सुप्रीम कोर्ट में जिरह करने वाले मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि देसाई आंदोलन के नाम पर कार्य कर रही हैं जबकि कोर्ट के समक्ष मामला अब भी लंबित है.

उन्होंने कहा, ” अंतिम फैसला आने से पहले कम से कम मंदिर से जुड़े लोगों की भावना का सम्मान किया जाना चाहिए.”

केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्नीथला ने आरोप लगाया कि तृप्ति का सबरीमला आना भाजपा और माकपा की तीर्थयात्रा को छिन्न बिन्न करने की साजिश है.

उन्होंने कहा, ”तृप्ति का संघ परिवार से संबद्ध है जबकि अम्मिनी माकपा समर्थक है. दोनों सबरीमला के दर्शन करने आई है. यह सबरीमला तीर्थ यात्रा बाधित करने की साजिश है.”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सरकार से शांति और मंदिर की पवित्रता बनाए रखने की अपील की है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में प्रतिबंधित उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के मामले को बड़े बेंच को सौंप दिया है. हालांकि पिछले साल सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश देने के आदेश पर रोक नहीं लगाई है. इस फैसले के कुछ दिन बाद ही 16 नवंबर को सबरीमला के कपाट वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए खोले गये थे.


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