तीन में से एक बच्चा कुपोषित या मोटापे से पीड़ित: यूनिसेफ


One in three children suffer from malnutrition or obesity: UNICEF

 

विश्वभर में पांच साल से कम आयु के करीब 70 करोड़ बच्चों में एक तिहाई बच्चे या तो कुपोषित हैं या मोटापे से पीड़ित हैं जिसके परिणामस्वरूप उन पर जीवनपर्यन्त स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त रहने का खतरा है. संयुक्त राष्ट्र की बाल पोषण संबंधी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोरे ने 1999 के बाद से निकाय की पहली ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन’ रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि यदि बच्चों के पोषण पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे अस्वस्थ जीवन जिएंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है, ”हम स्वस्थ खान-पान की लड़ाई हार रहे हैं.”

रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि साल 1990 से 2015 के बीच गरीब देशों में बच्चों के अल्पविकसित और बौने होने के मामलों में करीब 40 प्रतिशत की गिरावट आई है लेकिन चार साल या इससे भी कम आयु के 14 करोड़ 90 लाख बच्चों का कद अब भी अपनी आयु के हिसाब से छोटा है.

इसके अनुसार, अन्य पांच करोड़ बच्चे अत्यंत पतलेपन की समस्या से जूझ रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से करीब आधे बच्चों को आवश्यक विटामिन और खनिज नहीं मिल रहे. पिछले तीन दशकों में बच्चों में कुपोषण अत्यधिक वजन के रूप में सामने आया है.

यूनिसेफ के पोषण कार्यक्रम के प्रमुख विक्टर अगुआयो ने कहा, ”कुपोषण, अहम सूक्ष्मपोषक तत्वों की कमी और मोटापे का तिहरा बोझ एक ही देश, कभी-कभी एक ही पड़ोसी और अक्सर एक ही घर में पाया जाता है.”

उन्होंने कहा, ”मोटापे से ग्रस्त मां के बच्चे पतलेपन से ग्रस्त हो सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि सभी आयु वर्गों में विश्वभर के 80 करोड़ से अधिक लोग भुखमरी से पीड़ित हैं और अन्य दो अरब लोग अस्वस्थ खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन कर रहे हैं, जिसके कारण मोटापे, हृदय संबंधी बीमारी और मधुमेह की बीमारियां बढ़ रही है.

रिपोर्ट के अनुसार, छह माह से कम आयु के हर पांच में से केवल दो शिशुओं को ही केवल मां का दूध मिल रहा है. ‘फार्मूला मिल्क’ की बिक्री विश्वभर में 40 प्रतिशत बढ़ी है.


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