एक अरब में केवल डेढ़ करोड़ लोगों की ही मिली कानूनी सहायता: जस्टिस रिपोर्ट


Only 15 million out of 1 billion eligible Indians provided legal aid services in last 14 years

 

भारत में 1995 से लेकर अब तक केवल डेढ़ करोड़ लोगों को ही कानूनी सहायता प्राप्त हुई है, जबकि 125 करोड़ की जनसंख्या में 80 फीसदी लोग इसके लिए योग्य थे. हाल ही में जारी हुई इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट न्यायिक व्यवस्था के चार पहलुओं- पुलिस, जेल, ज्युडिसरी और कानूनी सहायता की क्षमता को मापती है.

इस रिपोर्ट में एक विशेष बात यह भी है कि इसमें कानूनी सहायता को केवल कोर्ट केस में प्रतिनिधित्व तक ही सीमित नहीं किया गया है, बल्कि इसमें कानूनी साक्षरता, लोगों को कानूनी सलाह और कानूनों के तहत उन्हें मिलने वाले फायदों के बारे में सूचना देना जैसे पहलुओं को भी शामिल किया गया है.

रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि लोगों को संतोषजनक परिणाम देने के लिए वकीलों को ठीक ढंग से ट्रेनिंग नहीं मिली है. यह भी कहा गया है कि मानव और वित्त संसाधनों का भी ढीक ढंग से प्रयोग नहीं किया गया है.

रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कानूनी सहायता देने वाले वकीलों में महिला वकीलों की संख्या बहुत कम है. यह केवल 18 प्रतिशत है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 18 बड़े राज्यों में महिला वकीलों के हिसाब से 40 प्रतिशत के साथ केरल पहले स्थान पर है. वहीं 30 प्रतिशत के साथ कर्नाटक और 27 प्रतिशत के साथ महराष्ट्र का स्थान आता है. राजस्थान, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में महिला वकीलों की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है.


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