मुद्रा योजना के तहत पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को मिली है ज्यादा नौकरियां


only in smallest loan group women get more Mudra jobs than men

 

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत अप्रैल 2015 से दिसंबर 2017 के 33 महीनों में कुल 1.12 करोड़ नौकरियों में से 68.92 लाख (56.3 फीसदी) नौकरियां महिलाओं को मिली हैं. लेकिन, इन नौकरियों में से 90 फीसदी शिशु लोन ग्रुप के अंतर्गत आती हैं. शिशु लोन के तहत उद्यम शुरू करने के लिए सबसे कम 50 हजार रुपये तक मिलते हैं.

अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने मुद्रा योजना पर किए गए सर्वेक्षण की ड्राफ्ट रिपोर्ट का विश्लेषण किया है.

पीएमएमवाई की शुरुआत 8 अप्रैल 2015 को हुई थी.

मुद्रा के अंतर्गत तीन स्तर पर ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था है. शिशु, किशोर और तरुण के अंतर्गत गैर-कॉरपोरेट छोटे व्यवसाय सेगमेंट के अंतर्गत प्रोपराइटरशिप या पार्टनरशिप फर्म जो छोटी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, सर्विस सेक्टर यूनिट, दुकानदार, फल या सब्जी विक्रेता, ट्रक ऑपरेटर, फूड-सर्विस यूनिट, रिपेयर शॉप, मशीन ऑपरेटर, छोटे उद्योग, कारीगर, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खाद्य प्रोसेसर और अन्य चलाते हैं, इस योजना के योग्य हैं. उन्हें इस योजना के तहत आर्थिक सहायता दी जाती है. शिशु में 50 हजार रुपये तक का ऋण, किशोर में 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपये और तरुण के अंदर 5 लाख से लेकर 10 लाख रुपये तक देने की व्यवस्था है.

उल्लेखनीय है कि शिशु श्रेणी की तुलना में किशोर और तरुण ऋण श्रेणियों में महिलाओं को मिलने वाली नौकरियों में गिरावट हुई है. इस श्रेणी के अंतर्गत महिलाओं को महज 5.88 लाख नई नौकरियां मिली हैं, जो अतिरिक्त रोजगार का सिर्फ 5.2 फीसदी है. वहीं इन दोनों श्रेणियों में पुरुषों को 32.2 लाख (28.7 फीसदी) नौकरियां मिली हैं

किशोर ऋण श्रेणियों में महिलाओं की तुलना में पुरुष कर्मचारियों को चार गुणा ज्यादा नौकरियां मिली हैं. इसके अलावा तरुण ऋण श्रेणी तक आते आते महिलाओं और पुरुषों को मिलने वाली रोजगार के बीच की खाई और गहरी होती जाती है. इस श्रेणी में पुरुषों को जहां 14 फीसदी रोजगार मिला है, तो वहीं महिलाओं की हिस्सेदारी महज 1.2 फीसदी रही है.

विश्लेषकों के मुताबिक समग्र संख्या पर नजर डालें तो पाएंगे कि महिलाओं की नौकरियां पाने की संख्या में तो एजाफा हुआ है. लेकिन, उनका रोजगार ज्यादातर छोटे उद्यमों तक ही सीमित है.

शिशु ऋण श्रेणी के तहत सबसे ज्यादा 12 फीसदी महिला कर्मचारियों को कर्नाटक में नौकरियां मिली हैं. इसके बाद ओडिशा में 6.3 फीसदी रोजगार मिला है.

किशोर और तरुण ऋण श्रेणी के अंतर्गत महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिला है. इसके बाद कर्नाटक और केरल में इस श्रेणी में महिलाओं को नौकरियां मिली हैं.

शिशु ऋण श्रेणी में आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा 1.2 फीसदी पुरुषों को कुल अतिरिक्त रोजगार मिला हैं. किशोर और तरुण ऋण श्रेणियों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश 2.2 फीसदी और महाराष्ट्र में 7.3 फीसदी रोजगार पुरुषों को मिली हैं.

इससे पहले के रिपोर्ट के मुताबिक श्रम और रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत श्रम ब्यूरो के किए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी कि पांच में केवल एक लाभार्तियों ने नया उद्यम शुरू किया था, बाकी लोगों ने अपने पहले से उद्यम का ही विस्तार किया था.

सरकार के मुताबिक 2015 -16 के वित्त वर्ष में 4,53,51,509 करोड़ ऋण को मंजूरी मिली थी. इसके अलावा 228144.72 करोड़ की मंजूरी मिली थी जिसमें से 220596.05 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.


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