ईवीएम के खिलाफ मुहिम छेड़ने की तैयारी में विपक्ष


evm and postal ballot can be counted simultaneously says ec

 

विपक्षी नेता आगामी चुनावों में ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव करने पर जोर देने जा रहे हैं. अलग-अलग विपक्षी दलों के शीर्ष नेता ईवीएम से कथित छेड़छाड़ के मुद्दे पर और बैलेट पेपर से चुनाव कराने के मुद्दे पर एक साथ आए हैं.

उम्मीद जताई जा रही है कि ये सभी नेता ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए जल्द ही चुनाव आयोग में एक संयुक्त ज्ञापन भेज सकते हैं.

कांग्रेस सांसद और राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इससे पहले कल ईवीएम के मसले पर एक मीटिंग आयोजित की. इस मीटिंग में शामिल होने तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, वाईएस चौधरी (तेलुगू देशम पार्टी), प्रफुल्ल पटेल (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), एमके कनिमोझी (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), राम गोपाल यादव (समाजवादी पार्टी), डी राजा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) और टीके रंगराजन (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी) दिल्ली पहुंचे.

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ‘‘विपक्षी दल ईवीएम के मुद्दे को उठाने के लिए गंभीर बैठक करने जा रहे हैं. हम सभी विपक्षी दलों की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करने का प्रयास करेंगे. हमारी मांग है कि चुनाव आयोग कुछ प्रतिशत वीवीपैट का ईवीएम से मिलान करना अनिवार्य करे.’’

इस मीटिंग में विपक्षी नेताओं ने मिलकर ज्ञापन का मसौदा तैयार किया. जिसे फिलहाल सभी नेताओं के पास हस्ताक्षर करने के लिए भेजा गया है.

इस ज्ञापन के जरिए विपक्षी नेता निर्वाचन आयोग से यह मांग करने जा रहे हैं कि देश में चुनाव कराने के लिए आयोग ईवीएम की जगह एक बार फिर बैलेट पेपर का रुख करे.

ज्ञापन के मुताबकि चुनावों में ईवीएम की तुलना में बैलोट पेपर अधिक विश्वसनिय जरिया है. इस व्यवस्था को पूरी तरह बदले में समय लगेगा. ऐसे में चुनाव आयोग ये सुनिश्चित करे कि वो 50 फीसदी ईवीएम के साथ वीवीपीएटी मशीनें अनिर्वाय रूप से उपलब्ध कराएगी. विपक्षी नेताओं ने दलील दी है कि ये संभव है और ऐसा करने के दौरान आयोग को अतिरिक्त खर्च नहीं उठाना पड़ेगा.

ज्ञापन को बेहतर बनाने के लिए विपक्षी नेता आज एक बार फिर मीटिंग करने जा रहे हैं. उम्मीद जताई गई है कि इस मीटिंग में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी शामिल हो सकते हैं. इसके साथ ही बीएसपी की ओर से भी एक प्रतिनिधि के आने की संभावनाएं हैं.

ज्ञापन के जरिए नेताओं ने आयोग के कुछ फैसलों पर भी सवाल खड़े किए हैं. आयोग फिलहाल चुनाव के बाद उपलब्ध वीवीपीएटी मशीन में से केवल 2.5 फीसदी मशीनों को ही दौबारा चेक करता है. नेताओं ने आयोग के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं.

नेताओं ने कहा, “ईवीएम पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. ये आरोप लग रहे हैं कि सत्ता रूढ़ पार्टी इसकी प्रोग्रामिंग में बदलाव कर अपने पक्ष में वोट कर रही है.” उनका कहना है कि जानकार ईवीएम की तकनीक पर सवाल खड़े कर रहे हैं और इसे चुनौती दे रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ये ईवीएम की विश्वसनीयता और चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.


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