चुनाव आयोग के फैसलों के खिलाफ खड़ी विपक्षी पार्टियां


opposition parties come together against election commission decisions

 

10 अप्रैल को आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद एक्शन मोड में आए चुनाव आयोग की भूमिका पर अब तमाम विपक्षी पार्टियां सवाल उठा रही हैं. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग के बीते कुछ फैसलों पर संदेह जताते हुए कहा कि वह स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रहा है.

जहां एक ओर ममता ने अधिकारियों के तबादले के आयोग के निर्णय को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए कहा कि ये बीजेपी के इशारे पर लिया गया है. वहीं मुख्यमंत्री योगी के बयान पर आयोग के फैसले को कांग्रेस ने प्रेम पत्र की संज्ञा देते हुए अपनी नाराजगी जताई.

बीते हफ्ते गाजियाबाद में एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना को “मोदी जी की सेना” कहने के बाद घिरे मुख्यमंत्री योगी को चुनाव आयोग ने पत्र लिखकर भविष्य में सावधानी बरतने की हिदायत दी. जिसके बाद आयोग के कदम पर कांग्रेस हमलावार नजर आई.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने लिखा, “क्या एमसीसी (आदर्श आचार संहिता) अब मोदी कोड ऑफ कंडक्ट बन गया है. आदित्यनाथ सेना का अपमान करते हैं और चुनाव आयोग उन्हें प्रेम पत्र लिखता है.”

आयोग के इस फैसले पर सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ने भी अपनी नाराजगी दर्ज कराई. उन्होंने कहा, “योगी कहते हैं कि मोदी की फौज है, फिर मुख्तार अब्बास नकवी भी यही बोलते हैं, लेकिन उनके इस बयान पर चुनाव आयोग ने कुछ भी नहीं किया.”

जबकि कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने कोलकाता और बिधाननगर पुलिस आयुक्तों समेत चार आईपीएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया.

जिसके बाद ममता ने आयोग को लिखे पत्र में कहा, “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझे आज यह पत्र लिखकर चुनाव आयोग की तरफ से जारी पांच अप्रैल 2019 के स्थानांतरण आदेश के खिलाफ विरोध जाहिर करना पड़ रहा है, जिसके जरिए चार वरिष्ठ अधिकारियों को उनके मौजूदा पदों से हटाया गया.”

उन्होंने कहा,“आयोग का फैसला बेहद मनमाना, प्रेरित एवं पक्षपातपूर्ण है.हमारे पास यह यकीन करने के सारे कारण हैं कि आयोग का फैसला केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी जो कि बीजेपी है, के इशारे पर लिया गया.”

ममता के बयान पर जवाब देते हुए बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, “ये तो बस शुरुआत है. अभी और अधिकारियों के तबादले होंगे क्योंकि ये लोग तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनाव कराते हैं.. किसी भी भ्रष्ट पुलिस अधिकारी को चुनाव में शामिल नहीं होने दिया जाएगा.”

ऐसे ही एक मामले में कांग्रेस ने कहा कि नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार को आयोग ने महज ये कहते हुए छोड़ दिया कि वो आगे से ऐसी गलती नहीं करें. कुमार ने अपने बयान में कांग्रेस की न्याय योजना की आलोचना की थी. जिसके बाद उनपर आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप लगे थे.


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