सीवीआरडीई ने गैरजरूरी संयंत्र का दिया आर्डर : पीएसी


PAC alleged cvrde to ordered unnecessary plant

  PTI

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना की ओर से मांग नहीं होने के बावजूद ‘युद्धक वाहन अनुसंधान एवं विकास स्थापना’ (सीवीआरडीई) ने 97.33 लाख रुपये की लागत से मोबाइल गैस संयंत्र के विकास के लिए आर्डर दे दिया.

समिति ने कहा कि गैस संयंत्र का विकास अनावश्यक था. क्योंकि जीईएम प्रेशर सिस्टम नामक कंपनी द्वारा पहले ही इस संयत्र का विकास किया जा चुका था. जुलाई 2010 में इसकी आपूर्ति रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) को दे दी गयी थी.

समिति ने कहा है कि सेना के मुख्य युद्धक टैंक ‘अर्जुन’ को युद्ध परिस्थिति में तैयार रखने के लिए नाइट्रोजन गैस बहुत आवश्यक है. जीईएम प्रेशर सिस्टम का तीन साल तक उपयोग नहीं किया गया .

रिपोर्ट के अनुसार शुरुआत में सेना ने कहा था कि उन्हें गैस संयंत्र की आवश्यकता नहीं है. क्योंकि उनके नाइट्रोजन गैस सिलेंडरों को आयुध कारखानों के माध्यम से दोबारा भरा जा रहा था. वे खरीदे गए गैस संयंत्र को प्राप्त करने के इच्छुक नहीं थे, क्योंकि उनके पास पर्याप्त संसाधन मौजूद थे.

समिति ने कहा कि डीआरडीएल सेना के बख्तरबंद ब्रिगेड की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए एक नोडल एजेंसी है. और उसी पर अर्जुन टैंक के लिए नाइट्रोजन गैस प्रणाली विकसित करने का जिम्मा है. लेकिन विकास संबंधी अनिवार्यताओं के कारण गैस संयंत्र को एक निजी विक्रेता से अनुसंधान एवं विकास परियोजना के रूप में खरीदा गया था.

समिति ने चिंता जताई है कि सेना द्वारा परीक्षण के लिए गैस संयंत्र की स्वीकृति दबाव के तहत दी गयी प्रतीत होती है. क्योंकि मेकेनाइज्ड फोर्स के महानिदेशक ने कहा था कि सीवीआरडीई ने उन्हें ‘‘नो कॉस्ट, नो लाइबिलिटी (कोई लागत नहीं, कोई दायित्व नहीं)’’ के आधार पर गैस संयंत्र की पेशकश की थी.


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