पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच ‘बेलआउट पैकेज’ पर समझौता


india can take any kind of action in pok says imran khan

 

पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और पाकिस्तान सरकार के बीच ‘बेलआउट पैकेज’ पर स्टाफ लेवल समझौता हुआ है. समझौते के तहत पाकिस्तान को आईएमएफ की ओर से तीन वर्षों में करीब छह बिलियन यूएस डॉलर (42 हजार करोड़ रुपये) का ‘बेलआउट पैकेज’ दिया जाएगा.

वित्त, राजस्व एवं आर्थिक मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार डॉ अब्दुल हफीज शेख ने जानकारी देते हुए बताया कि स्टाफ स्तर पर हुए इस समझौते को अभी वाशिंगटन में आईएमएफ बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की औपचारिक मंजूरी मिलनी बाकी है.

पाकिस्तान में घटते विदेशी मुद्रा भंडार, निर्यात में गिरावट और उच्च मुद्रास्फीति की वजह से आर्थिक संकट लगातार गहराया है. जिसे देखते हुए इमरान सरकार ने एक बार फिर बेलआउट के लिए आईएमएफ का दरवाजा खटखटाया है. बीते 60 साल में ये 22वीं बार है जब पाकिस्तान ने बेलआउट के लिए आईएमएफ का रुख किया है.

समझौता फिलहाल वाशिंगटन में आईएमएफ बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मंजूरी के साथ ही ढांचागत सुधार के एजेंडा पर अंतरराष्ट्रीय भागीदारों की प्रतिबद्धता पर भी निर्भर करता है.

शुरुआती तौर पर समझौते के तहत दिया जाने वाला बजट जीडीपी में 0.6 फीसदी के प्रथामिक घाटे को कम करने पर केंद्रीत होगा. आईएमएफ की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी के तहत अगले तीन साल में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया जाएगा.

जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान आईएमएफ के अलावा वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक से भी तीन बिलियन यूएस डॉलर (21 हजार करोड़ रुपये) की अतिरिक्त आर्थिक सहायता ले रहा है.

फिलहाल चीन अपनी वन बेल्ट, वन रोड परियोजना के लिए पाकिस्तान में निवेश कर रहा है, ऐसे में अभी साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि यूएस की दबाव में काम करने वाला आईएमएफ समझौते को हरी झंडी देगा या नहीं.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, ग्वादर बंदरगाह के साथ शिनजियांग में काशगर को जोड़ता है. परियोजना का अनुमानित खर्च 46 बिलियन यूएस डॉलर (तीन लाख 23 हजार करोड़ रुपये) का है.

पाकिस्तानी अधिकारियो ने बताया कि समझौते को लेकर वाशिंगटन में बात जारी है.


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