देश की उपलब्धियों पर दलगत नजरिया ठीक नहीं- प्रणब मुखर्जी


Parties views on the achievements of the country are not correct - Pranab Mukherjee

 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत की उपलब्धियों को दलगत रूप दिए जाने पर अफसोस जताया है. उन्होंने कहा कि भारत आज पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद कर रहा है, तो ये कामयाबी कहीं आसमान से नहीं आ टपकी. बल्कि इसके पीछे पूर्व सरकारों और सभी दलों की मेहनत रही है.

प्रणब मुखर्जी ने समृद्ध भारत फाउंडेशन (एसबीएफ) के एक साल पूरे होने के मौके पर “Furthering India’s Promise” विषय पर व्याख्यान देते हुए ये बात कही. नई दिल्ली में हुए इस आयोजन के साथ समृद्ध भारत फाउंडेशन की व्याख्यान माला ‘मंथन’ की शुरुआत हुई. इस व्याख्यान शृखंला के तहत देश के नीति निर्माण में सक्रिय लोग, अकादमिक जगत की हस्तियां और सामाजिक कार्यकर्ता भारत के संवैधानिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखने के बारे में अपने विचार रखेंगे.

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, “भारत का संविधान सभी जाति, धर्म और लिंग के लोगों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की गारंटी देता है. यह धार्मिक सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता को सुनिश्चित करने की बात करता है. अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ हमारे संविधान निर्माताओं ने उनके सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकारों को भी सुनिश्चित करने की बात कही है. इसमें अभिव्यक्ति की आजादी, समूह बनाने की आजादी, अस्पृश्यता का अंत, वोट का अधिकार, समावेशी औद्योगिक विकास और समाजवाद की बात कही गई है. भारतीय संविधान के इस नजरिए के कारण ही भारत तमाम तरह की आशंकाओं के बावजूद मजबूती से खड़ा रहा.”

उन्होंने कहा, “जो लोग कांग्रेस के 55 साल के शासन की आलोचना करते हैं वो भारत की आजादी के समय भारत की क्या स्थिति थी और उसके बाद भारत ने कितना लंबा सफर तय किया है, इस तथ्य को नजरअंदाज करते हैं. यह जरूर है कि इसमें दूसरे लोगों की भी भूमिका है लेकिन आधुनिक भारत की नींव हमारे उन पूर्वजों ने रखी जिन्हें एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में यकीन था. मौजूदा वक्त की तरह नहीं जिसमें योजना आयोग जैसी संस्था को भंग कर दिया गया हो. भारत ने जो ये दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की की है, वो इसलिए क्योंकि जवाहर लाल नेहरू जैसे नेताओं ने आईआईटी, इसरो और आईआईएम जैसे संस्थानों की नींव रखी. मनमोहन सिंह और नरसिम्हा राव जैसे नेताओं ने उदारवादी नीतियों की बदौलत तरक्की की इस रफ्तार को आगे बढ़ाया है. इसने भारत की अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को नई दिशा दी है और इसी की बदौलत आज वित्त मंत्री इस बात का दावा कर रहे हैं कि भारत पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने जा रही है.”

उन्होंने आगे कहा, “आज देश में हो रहे सामाजिक और राजनीतिक विचलन को रोकने के लिए संवाद स्थापित करने की ईमानदार कोशिश होनी चाहिए ताकि हमारी व्यवस्था और लोगों के सामने वाली समस्याओं को बेहतर ढंग से समझा जा सके. हमें आज अपने सार्वजनिक जीवन को हर तरह की हिंसा से मुक्त करने की जरूरत है.”

उन्होंने समृद्ध भारत को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “मैं समृद्ध भारत के ट्रस्टी और एडवाइजर्स को उनके शानदार काम के लिए बधाई देता हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि उनकी यह व्याख्यान माला ना सिर्फ तमाम सामाजिक मुद्दों पर संवाद स्थापित करेगी बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक चेतना का भी निर्माण करेगी. इस वैचारिक काम की अभी भारत में सख्त जरूरत है.”

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रतिष्ठित कार्यकर्ता और समृद्ध भारत की ट्रस्टी डॉक्टर सैयदा हमीद ने कहा, “भारत के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने की लड़ाई में समृद्ध भारत सबसे आगे रहेगा. संवैधानिक मूल्य इस राष्ट्र की आत्मा है. अगर हम इस राष्ट्र की आत्मा को जीवित रखना चाहते हैं तो सबसे पहले जरूरी यह है कि हम इन मूल्यों के साथ मजबूती के साथ खड़ा रहें. तभी हम उन जगहों, संस्थानों और लोगों पर अपना फिर से दावा कर सकते हैं जिन्हें हमने खो दिया है.”

समृद्ध भारत के मैनेजिंग ट्रस्टी और डायरेक्टर पुष्पराज देशपांडे ने कहा, “भारत की आत्मा को बचाने की लड़ाई में प्रगतिशील ताकतें तभी प्रभावी होंगी जब हम अपनी विचारधारा को लेकर अडिग रहें और नए सिरे से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर विचार-विमर्श करें. समृद्ध भारत और ‘रीथिंकिंग इंडिया’ के 14 संस्करणों के तहत हम भारत के भविष्य को सुरक्षित रखने की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे.”

समृद्ध भारत फाउंडेशन एक स्वतंत्र सामाजिक-राजनीतिक संगठन है जो संवैधानिक मूल्यों को मजबूत और सुरक्षित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता रखता है.


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