इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के मरीजों ने पहली बार डाला वोट


Voting on May 6 on five polling booths in Andhra Pradesh after disturbing EVMs

 

चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (IMH) के 159 मरीजों ने लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में पहली बार मतदान किया है. आईएमएच की स्थापना 1794 में हुई थी. यहां 900 मरीज रहते हैं. इनमें  ज्यादातर मरीजों को नया वोटर आई कार्ड दिया गया था. इन मरीजों को उनके परिवार ने छोड़ दिया है.  हालांकि अब वह ठीक हो चुके हैं.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक,  “जांच के बाद 159 मरीजों को डॉक्टरों ने ‘वोट देने लायक’ पाया. सभी मरीज आर्थिक, सामाजिक मुद्दों की समझ रखते हैं.”

एक मरीज ने मतदान के बाद कहा, “हमें भारतीय राजनीति के बारे में काफी कुछ पता है. मैं तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ उत्तर भारत और राष्ट्रीय पार्टियों के बारे में जानता हूं. मैंने अपनी समझदारी से मतदान किया है. भारत की रक्षा, कृषि और अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मैंने इवीएम का बटन दबाया.”

46 साल के एक मतदाता ने बताया कि वह पहले भी मतदान कर चुके हैं. लेकिन नौ साल से आईएमएच में रहने के दरम्यान उन्होंने मतदान का प्रयोग नहीं किया था. उन्हें नया वोटर आई कार्ड बनाकर दिया गया है.

34 साल के एक अन्य मरीज ने बताया कि वोटिंग करना एक खूबसूरत एहसास रहा है. उन्होंने पहली बार वोटिंग की है. उन्होंने कहा, “यह एक बहुत अच्छा एहसास है. मैं 34 साल का हूं और यह मेरा पहला वोट है. मैं बहुत ख़ुश हूं.”

आईएमएच के निदेशक डॉक्टर पी पूर्णा चंद्रिका ने कहा कि यह धारणा और सांस्थानिक भेदभाव है कि ऐसे लोगों को वोटिंग के अधिकार से वंचित रखा जाता है जबकि कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है कि उन्हें मतदान करने से रोका जाए.


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