पेप्सिको से शर्त वापसी और मुआवजे की मांग


PepsiCo is seeking widraw the conditions of compensation from the Kisan organization

 

गुजरात के आलू उत्पादक किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की पेप्सिको की घोषणा के एक दिन बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसान नेताओं ने कहा कि कंपनी को बिना शर्त मामले वापस लेने चाहिए और आलू उत्पादकों के उत्पीड़न के लिए उन्हें मुआवजा भी देना चाहिए.

पेप्सिको ने पहले उन आलू उत्पादकों पर मुकदमे का फैसला किया था जिन्होंने कथित तौर पर कंपनी द्वारा पंजीकृत किस्म के आलू उगाये थे. कंपनी के इस फैसले से आंदोलित गुजरात और देश के करीब 25 बड़े किसान संगठनों ने बीजों पर किसानों के हितों के संरक्षण के लिए ‘सीड सोवर्निटी फोरम’ बनाने का फैसला किया है.

एनजीओ ‘जतन’ के किसान अधिकार कार्यकर्ता कपिल शाह ने कहा कि अहमदाबाद के गुजरात विद्यापीठ में इस संगठन के तहत एक बैठक में कार्ययोजना पर चर्चा की गयी है.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम आशंकित हैं क्योंकि पेप्सिको के कल के बयान में कुछ नया नहीं है. कंपनी ने पहले अदालत में कहा था कि वह दो शर्तों पर मामले वापस लेगी. शर्तों में कहा गया है कि किसान कंपनी के बीजों का इस्तेमाल करना बंद कर दें या कंपनी के साथ खेती के करार में शामिल हो जाएं.’’

शाह ने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि मामलों को बिना शर्त वापस लिया जाना चाहिए. हम यह भी चाहते हैं कि कंपनी उत्पीड़न के लिए इन किसानों को मुआवजा भी अदा करे. कानून बिल्कुल साफ है और यह कहता है कि किसानों या उत्पादकों के अधिकार हमेशा बीज बनाने वाली कंपनियों के अधिकारों से ऊपर रहेंगे. बीज पर किसानों के अधिकार पर किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता.’’

पेप्सिको ने साबरकांठा और अरावली जिलों के नौ किसानों पर दो अलग-अलग अदालतों में मामले दर्ज कराए थे.


ताज़ा ख़बरें