गुर्जर आरक्षण विधेयक को मिली कानूनी चुनौती


petition filed against Gujjar quota in rajasthan high court

 

हाल ही में गुर्जर आंदोलन के बाद राजस्थान विधानसभा में पारित हुए पांच फीसदी आरक्षण विधेयक को राजस्थान हाई कोर्ट में कानूनी चुनौती मिल गई है.

राजस्थान सरकार ने बीते महीने 13 फरवरी को गुर्जर सहित पांच जातियों को पांच फीसदी आरक्षण देने वाला विधेयक विधानसभा में पारित किया था.

कार्यकर्ता अरविंद शर्मा और बादल वर्मा ने पांच फीसदी आरक्षण विधेयक को गलत ठहराते हुए कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान सदन में पारित विधेयक 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है. याचिका के मुताबिक विधेयक पारित करते समय पिछली जनसंख्या के आंकड़ों को आधार बनाया गया है.

विधानसभा में पारित विधेयक में राज्य की पांच अति पिछड़ी जातियों (1) बंजारा/ बालदिया/लबाना (2) गाडिया लोहार/ गाडोलिया (3) गुर्जर/गुजर (4) राइका/ रैबारी/ देबासी (5) गडरिया/गाडरी/ गायरी को पाचं फीसदी आरक्षण मुहैया करने का प्रावधान किया गया है.

साथ ही राज्य में पिछड़ा वर्ग आरक्षण मौजूदा 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने का भी प्रावधान किया गया है. राज्य सरकार की ओर से मंत्री बीडी कल्ला ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग (राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण) संशोधन विधेयक, 2019 सदन में पेश किया था.

द हिंदू में छपी खबर के मुताबिक राजस्थान हाई कोर्ट आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई कर सकता है.

राज्य में आरक्षण पर गठित उप-समिति ने गुर्जर समुदाय को आश्वासन दिलाया है कि विधेयक को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं का राज्य बचाव करेगा. इससे पहले गुर्जर आरक्षण के दौरन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने समुदाय को लिखित में भी भरोसा दिलाया था.

आरक्षण उप-समिति के सदस्य और राज्य के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने बताया कि कोर्ट में राज्य विधेयक का पूरा बचाव करेगा. उन्होंने कहा याचिका के जवाब में हम अपना पक्ष पूरी मजबूती से रखेंगे. “अगर गरीब सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू किया जा सकता है, तो पिछड़ी जातियों के लिए पांच फीसदी आरक्षण विधेयक को लागू करने में भी कोई परेशानी नहीं आएगी.”

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा स्वाहने के केस पर फैसला सुनाते हुए राज्य में गुर्जर समुदाय को अति पिछड़ा वर्ग के तहत (ओबीसी) एक फीसदी का आरक्षण दिया गया था.

ये पहली बार नहीं है, जब राज्य में गुर्जर आरक्षण विधेयक पारित किया गया हो. इससे पहले भी राज्य सरकारें लगभग तीन बार गुर्जर सहित पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण देने की असफल कोशिश कर चुकी हैं. क्योंकि तीनों ही बार राजस्थान हाई कोर्ट ने यह कहते हुए आरक्षण को गलत ठहराया था कि यह 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है. इसके साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकारों की ओर से जातियों का पिछड़ापन साबित करने के लिए वाजिब आंकड़े नहीं पेश किए गए हैं.


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