पेट्रोनेट एलएनजी ने टेल्यूरियन के साथ एमओयू पर किए हस्ताक्षर, पहले किया था इंकार
अमेरिका की प्राकृतिक गैस कंपनी टेल्यूरियन इंक और भारत की पेट्रोनेट एलएनजी कंपनी लिमिटेड (पीएलएल) ने एक सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत पीएलएल और उसकी सहायक इकाइयां अमेरिका से सालाना 50 लाख टन तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का आयात करेंगी. एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि पेट्रोनेट ने 21 सितंबर को टेल्यूरियन के साथ एक आपसी सहमति के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.
उल्लेखनीय है कि छह महीने पहले पेट्रोनेट एलएनजी के निदेशक मंडल ने अमेरिकी कंपनी टेल्यूरियन इंक के प्रस्तावित ड्रिफ्टवुड एलएनजी टर्मिनल में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने और 40 साल तक हर साल 50 लाख टन एलएनजी खरीदने के प्रस्ताव में कोई रुचि नहीं दिखाई थी.
सूत्रों के मुताबिक उस वक्त निदेशक मंडल का मानना था कि गैस काफी मात्रा में उपलब्ध है ऐसे में इक्विटी निवेश की आवश्यकता नहीं है.
सूत्रों के अनुसार पेट्रोनेट द्वारा टेल्यूरियन की ड्रिफ्टवुड परियोजना में 2.5 अरब डॉलर का निवेश कर 20 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी भी हासिल करेगी. इस समझौते को अमेरिका के एलएनजी क्षेत्र में किसी भारतीय कंपनियों की तरफ से सबसे बड़ा सौदा बताया जा रहा है.
इस करार के तहत पेट्रोनेट और उसकी सहायक इकाइयां अमेरिका से 40 साल की लंबी अवधि तक 50 लाख टन एलएनजी का आयात करेगी. इस करार के तहत एलएनजी प्राप्त करने के लिए पीएलएल, लुइसियाना की 28 अरब डॉलर की इस बड़ी परियोजना में इक्विटी निवेश करेगी. हालांकि, यह आगे जांच परख और कंपनी निदेशक मंडल की इस पर मंजूरी पर निर्भर करेगा.
दोनों कंपनियों का इरादा इस करार को 31 मार्च, 2020 तक अंतिम रूप देने का है.
यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शनिवार को अमेरिका की शीर्ष पेट्रोलियम कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ हुई बैठक के बाद की गई.
टेल्यूरियन ने बयान में कहा कि एमओयू पर दस्तखत प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में किए गए.
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि इस बैठक से इतर टेल्यूरियन और पेट्रोनेट एलएनजी के बीच करार पर दस्तखत किए गए.
टेल्यूरियन के अध्यक्ष एवं सीईओ मेग जेंटल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में इस एमओयू पर दस्तखत सम्मान की बात है. हम पेट्रोनेट के साथ ड्रिफ्टवुड परियोजना में एक लंबी और समृद्ध भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं.
पेट्रोनेट भारत की सबसे बड़ी एलएनजी आयातक है. इस करार से वह ड्रिफ्टवुड से स्वच्छ और कम लागत वाली बेहतर प्राकृतिक गैस की भारत में आपूर्ति कर सकेगी. जेंटल ने कहा कि भारत में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल बढ़ने से भारत प्रधानमंत्री के 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकेगा और साथ ही स्वच्छ पर्यावरण में भी योगदान दे सकेगा.
ड्रिफ्टवुड परियोजना में प्राकृतिक गैस उत्पादन, संग्रहण, प्रसंस्करण और परिवहन सुविधाओं के साथ ड्रिफ्टवुड एलएनजी शामिल है. यह एक प्रस्तावित 2.76 करोड़ टन की द्रवीकरण निर्यात सुविधा है. इसकी स्थापना अमेरिकी के खाड़ी तट पर लुइसियाना चार्ल्स झील के पास की जाएगी.
भारतीय कंपनी ने 22 सितंबर रविवार शाम को एक नियामकीय सूचना में कहा कि उसने अमेरिका के ह्यूस्टन में टेल्यूरियन के साथ ‘‘गैर-बाध्यकारी’’ एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं. ‘‘इस मामले में आगे की प्रक्रिया संबंधित कंपनियों के निदेशक मंडल की मंजूरी और मामले की जरूरी जांच परख पर निर्भर करेगी.’’
निदेशक मंडल में हुई चर्चा की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि इस साल अप्रैल- मई में कंपनी के निदेशक मंडल में मामले पर विचार विमर्श किया गया. इस दौरान सदस्यों का मानना था कि दुनिया के बाजारों में गैस बाजार के बदलते गणित को देखते हुये कंपनी को इस सौदे को आगे नहीं बढ़ाना चाहिये. विश्व बाजार में गैस काफी निचले दाम पर भारी मात्रा में पहले से ही उपलब्ध है.
निदेशक मंडल के सदस्यों में इक्विटी निवेश के साथ कंपनी के लिये 40 साल तक एलएनजी आयात को एक स्थान से बांधे जाने को लेकर भी रुचि नहीं दिखाई दी. सूत्रों ने बताया कि पेट्रोनेट की प्रवर्तक कंपनियां गेल इंडिया लिमिटेड, रिफाइनरी कंपनी इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी), तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) सभी इस सौदे के खिलाफ थीं.