अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से पीएम मोदी ने बजट पूर्व चर्चा की


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मुश्किल आर्थिक हालात के बीच अगले महीने पेश होने वाले बजट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रमुख अर्थशास्त्रियों और उद्योग विशेषज्ञों से बातचीत की और उनके सुझावों पर गौर किया. प्रधानमंत्री के साथ इस बैठक का आयोजन नीति आयोग ने ‘आर्थिक नीति: आगे का रास्ता’ सत्र के तौर पर किया. इसमें 40 से अधिक अर्थशास्त्रियों एवं विशेषज्ञों ने भाग लिया.

मोदी की यह मुलाकात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके नेतृत्व में गठित नई सरकार का पहला बजट पांच जुलाई को पेश किया जाना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में बजट पेश करेंगी.

प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार सत्र में भाग लेने वालों ने अपने विचार साझा किए. बैठक में पांच अलग अलग आर्थिक समूहों में विचार व्यक्त किए गए. इनमें वृहद अर्थव्यवस्था एवं रोजगार, कृषि एवं जल संसाधन, निर्यात, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम क्षेत्रों पर चर्चा की गई. इस दरम्यान इन क्षेत्रों में संभावनाओं और प्राथमिकताओं को नरेन्द्र मोदी के सामने रखा गया.

अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहुलुओं पर विशेषज्ञों की टिप्पणियों और सुझावों के लिए मोदी ने सभी का धन्यवाद किया.

बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.

हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक भारत की गिरती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर इस बैठक का आयोजन किया गया था. अर्थव्यस्था औद्योगिक एवं मैनुफैक्चरिंग के क्षेत्र में गिरावट, ऑटोमोबाइल की बिक्री में कमी और तेल की खपत में कमी जैसे संकट में है. बजट में नई योजनाओं के माध्यम से सरकार कृषि संकट और बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर काबू पाने की कोशिश करेगी.

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन, टाटा स्टील के वैश्विक सीईओ और प्रबंध निदेशक टी.वी. नरेन्द्रन, वेदांता रिसोर्सिस के चेयरमैन अनिल अग्रवाल, आईटीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव पुरी, पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा बैठक में विचार साझा करने वाले प्रमुख उद्योगपतियों में शामिल रहे.

बैठक में भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य सुरजीत भल्ला, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सीईओ विक्रम लिमये, नोमुरा की मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा, एनसीएईआर के महानिदेशक शेखर शाह और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देबरॉय शामिल थे.

वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 5.8 फीसदी हो गई है.

इससे पहले नरेन्द्र मोदी ने सभी मंत्रालय के सचिवों से मुलाकात कर भारत को साल 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम करने की अपील की थी.

तमिलनाडु की सरकार ने जल संकट से निपटने के लिए 1,000 करोड़ रुपये की मांग की है. इसके साथ ही केरल ने अतिरिक्त लोन की मांग की है.

बजट में दिल्ली सरकार ने केन्द्रीय कर में दिल्ली की हिस्सेदारी को 325 करोड़ से बढ़ाकर  6,000 करोड़ रुपये करने की मांग की है.

नीति आयोग की पूर्व की बैठक में सूखे की स्थिति, कृषि संकट, वर्षा जल संचयन और एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम पर चर्चा हुई थी.


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