निमोनिया से पीड़ित चार फीसदी बच्चों को ही नसीब अस्पताल: सर्वे


Pneumonia care falters

 

देश के उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में निमोनिया से गंभीर रूप से पीड़ित आधे से ज्यादा बच्चों को अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पाती है. हाल में हुए एक नए शोध ने यह निष्कर्ष दिया है. इन दोनों राज्यों में निमोनिया की वजह से सबसे ज्यादा बच्चों की मौत होती है.

सर्वेक्षण में पाया गया कि निमोनिया से पीड़ित महज चार फीसदी बच्चों को ही अस्पताल का इलाज मिल पाता है. इससे पहले किए गए स्वास्थ्य सर्वेक्षणों में यह बात सामने आती रही है कि निमोनिया से पीड़ित आठ से ग्यारह फीसदी बच्चों को अस्पताल के इलाज की जरुरत होती है.

शोध के अनुसार, निमोनिया से गंभीर रूप से पीड़ित आधे से अधिक बच्चों को अस्पताल का इलाज ही नहीं मिल पाता. ये बच्चे अस्पताल में भर्ती नहीं हो पाते. शोधकर्ताओं ने इस पूरे रुझान को चिंताजनक बताया है.

यह स्वास्थ्य सर्वेक्षण लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और बाल रोग विशेषज्ञ शैली अवस्थी के नेतृत्व में किया गया. उन्होंने रेखांकित किया कि निमोनिया से होने वाली मृत्यु का कारण अस्पतालों की कमी है.

डॉ अवस्थी और उनके सहकर्मियों ने लखनऊ जिले के 240 गांवों के 2,400 परिवारों के बीच सामुदायिक सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि दो महीने से लेकर पांच साल  के 3,351 में से 824 (25 फीसदी) बच्चों को निमोनिया हुआ. इनमें से सिर्फ 33 (4 फीसदी) बच्चे ही इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुए.

डॉक्टर अवस्थी ने कहा, “अस्पतालों में निमोनिया से पीड़ित बच्चों के भर्ती होने का अनुपात महज चार फीसदी होने की वजह साफ नहीं है. शायद इसकी वजह बीमारी को समझने में जानकारी का अभाव या फिर देखभाल और सही उपचार के लिए अस्पतालों तक पहुंच का न होना है.”

शोधकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती चार जिलों के निमोनिया से पीड़ित 5,172 बच्चों का विश्लेषण किया. इसमें उत्तर प्रदेश के लखनऊ और इटावा और बिहार के पटना और दरभंगा जिले शामिल हैं. हर जिले से अस्पताल में भर्ती निमोनिया से पीड़ित बच्चों में लड़कियों का अनुपात कम था.

निमोनिया से पीड़ित लड़कियों का अस्पताल में भर्ती होने का अनुपात दरभंगा में 25 फीसदी तो लखनऊ में 34 फीसदी था.

इस मुद्दे पर डॉक्टर अवस्थी का कहना है कि इससे पता चलता है कि लड़कियों को पर्याप्त स्वास्थ सेवाएं नहीं मिलती हैं और इस मामले में उनके साथ भेदभाव होता है.

निमोनिया मुख्य रूप से दो बैक्टीरिया- स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया (एसपी) और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी (एचआईबी) के कारण होता है.

केंद्र सरकार ने 2011 में सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत एचआईबी टीकाकरण की शुरुआत की थी. साल 2017 में उत्तर प्रदेश और बिहार सहित चुनिंदा राज्यों में एसपी के खिलाफ टीकाकरण शुरू किया गया था. लेकिन इस सर्वेक्षण से पता चलता है कि कई बच्चों को अभी भी पूर्ण टीकाकरण नहीं मिला है.


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