सोशल मीडिया कंपनियों से चुनाव आयोग की अहम बैठक आज
लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. इसके मद्देनजर भारतीय चुनाव आयोग इंटरनेट कंपनियों के प्रतिनिधियों से आज मुलाकात करने जा रहा है. बैठक में शिकायत दर्ज करने और सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर एक तंत्र विकसित करने पर बातचीत होगी.
चुनाव आयोग पहले ही साफ़ कर चुका है कि मतदान से 48 घंटे पहले तक ही चुनाव घोषणा पत्र जारी किए जा सकेंगे. माना जा रहा है कि इन 48 घंटों के दौरान सोशल मीडिया पर चुनावी गतिविधियों का विनियमन करना ही इस बैठक का एजेंडा होगा.
यह फैसला जनवरी में उपचुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा की अध्यक्षता में 14 सदस्यीय चुनाव कमिटी ने लिया था. समिति ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के सेक्शन 126 में बदलाव का सुझाव भी दिया था. सोशल मीडिया और न्यू मीडिया सेक्शन 126 के दायरे में नहीं आता है.
दो सप्ताह पहले इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया(आईएएमएआई) ने चुनाव आयोग के साथ ‘कोड ऑफ इथिक्स’ बनाने पर काम करने की बात कही थी. फेसबुक, ट्विटर, गूगल, ह्वाट्स ऐप और शेयर चैट आईएएमएआई के सदस्य हैं.
नौ मार्च को चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से कहा था कि चुनाव प्रचार में जवानों और सैन्य अभियानों का इस्तेमाल नहीं करें. बीजेपी के कुछ नेताओं के द्वारा चुनाव प्रचार में सेना की तस्वीर के इस्तेमाल की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने यह आदेश दिया था. इसके साथ ही फेसबुक को भी विंग कमांडर अभिनंदन की फोटो वाले राजनीतिक पोस्ट को हटाने का आदेश दिया गया था.
चुनाव आयोग चाहता है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म हर राजनीतिक विज्ञापन की जांच करे. लेकिन आईएएमएआई का मानना है कि ‘प्री सर्टिफीकेशन’ की जिम्मेदारी विज्ञापनदाता की होनी चाहिए. सोशल मीडिया प्लेटफार्म नियमन के लिए जिम्मेदार नहीं है.
चुनाव आयोग मतदान से 48 घंटे से पहले और नोटिफीकेशन जारी होने के तीन घंटे के भीतर सभी विज्ञापन सोशल मीडिया से हटवाना चाहता है.