खराब गुणवत्ता के गोला-बारूद से हो रहे हादसों पर सेना ने जताई चिंता
भारतीय सेना ने खराब गुणवत्ता के गोला-बारूद के चलते युद्ध क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रहे हादसों पर चिंता जताई है.
सेना के अनुसार, टैंकों, बंदूकों और तोपखानों जैसे युद्ध उपकरणों को यह घटिया गोला- बारूद सरकार के स्वामित्व वाले ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड की ओर से आपूर्ति किया जा रहा है.
सेना ने रक्षा मंत्रालय से कहा है कि खराब गोला-बारूद से होने वाले हादसे तेजी से बढ़े हैं. इससे युद्ध क्षेत्र में सैनिकों की मौतों की संख्या में इजाफा हुआ है. इसके साथ-साथ घायलों की संख्या भी बढ़ी है और रक्षा उपकरणों को भी नुकसान पहुंच रहा है.
माना जा रहा है कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड की ओर से आपूर्ति किए जाने वाले इस गोला-बारूद पर सेना अब भरोसा नहीं कर रही है.
ओएफबी के अंतर्गत 41 कारखाने हैं, जो 12 लाख से ज्यादा जवानों वाली सेना को मुख्य रूप से गोला-बारूद की आपूर्ति करते हैं. जिन रक्षा उपकरणों के साथ नियमित दुर्घटनाएं हो रही हैं, उनमें 105 एमएम बंदूक, 130 एमएम एमए 1 बंदूक, 40 एमएम एल-70 हवाई रक्षा बंदूक, टी-72 और टी-90 मुख्य बंदूक और अर्जुन टैंकों के अलावा 155 एमएम बोफोर्स बंदूकें शामिल हैं.
बढ़ती दुर्घटनाओं के चलते सेना ने 40 एमएम की बड़े धमाके करने वाली एल-70 बंदूकों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है. पिछले पांच सालों में टैंकों से दागे गए 125 एमएम के बड़े धमाके करने वाले बारूद से 40 से ज्यादा हादसे हो चुके हैं.
सेना ने अपनी चिंताएं रक्षा उत्पादन के सचिव अजय कुमार के समक्ष रखी हैं. है.
ओएफबी के 41 कारखानों का सालाना कारोबार लगभग 19 हजार करोड़ रुपये का है. माना जा रहा है कि ओएफबी के उत्पादों की गुणवत्ता में गिरावट का असर प्रमुख रूप से देश की युद्ध क्षमता पर पड़ेगा.
सेना की शिकायत सुनने के बाद सचिव अजय कुमार ने सेना से सभी हथियार और गोला-बारूद की समस्याओं से संबंधित कागजात जमा करने को कहा है.
सेना की 15 पन्नों की रिपोर्ट बेहद गंभीर तस्वीर दर्शाती है.