प्रज्ञा सिंह ठाकुर को चुनाव लड़ने से रोकने की याचिका खारिज
एनआईए की एक विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट में मारे गए एक युवक के पिता की याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में बीजेपी उम्मीदार प्रज्ञा सिंह ठाकुर के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की गई थी. प्रज्ञा मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर हैं. वह भोपाल से चुनाव लड़ रही हैं.
मालेगांव विस्फोट में अपने बेटे को खोने वाले निसार सैयद ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
एनआईए के विशेष न्यायाधीश वी एस पडालकर ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह उचित मंच नहीं है.
न्यायाधीश ने कहा,‘‘….गलत मंच चुना गया है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए इस अदालत के पास कानूनी शक्तियां नहीं हैं. इस बारे में फैसला करना चुनाव अधिकारियों का काम है. यह अदालत आरोपी को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती.’’
अदालत ने यह रुख दोहराने को लेकर अभियोजन एजेंसी एनआईए की खिंचाई की कि ठाकुर के खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत नहीं हैं.
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘एनआईए द्वारा दायर जवाब में एजेंसी ने उल्लेख किया है कि ठाकुर के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई सामग्री, सबूत नहीं है. यह नहीं पता कि जब हस्तक्षेपकर्ता ने इस संबंध में कोई अनुरोध ही नहीं किया है तो यह अंश क्यों डाला गया.’’
अदालत ने उल्लेख किया कि उसने एनआईए द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बावजूद आरोपमुक्त किए जाने की ठाकुर की याचिका खारिज कर दी थी और अदालत ने बाद में उनके खिलाफ आरोप भी तय किए थे.
ठाकुर के वकील जेपी मिश्रा ने अदालत से कहा कि उनकी मुवक्किल विचारधारा के लिए और राष्ट्र के हित की खातिर चुनाव लड़ रही हैं.
वहीं, सैयद ने अपनी याचिका में कहा कि ठाकुर को स्वास्थ्य कारणों से जमानत मिली थी और अगर चिलचिलाती गर्मी में चुनाव लड़ने के लिए उनका स्वास्थ्य ठीक है तो उन्होंने अदालत को गुमराह किया है.
इस पर मिश्रा ने कहा, ‘‘ठाकुर ने अदालत को गुमराह नहीं किया है. जमानत पर अदालत के आदेश के बाद उनका ऑपरेशन हुआ और 2016 में वह चलने-फिरने में असमर्थ थीं. अब उनकी हालत में सुधार हो गया है, लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं हुई हैं.’’