सरकारी से तीन गुना ज्यादा महंगा निजी अस्पताल में आयुष्मान इलाज
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पताल, सराकरी अस्पतालों की तुलना में तीन गुना तक अधिक दाम वसूल रहे हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने निजी और सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत एक ही इलाज पर हो रहे खर्च में भारी अंतर पाया है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के शुरुआती अध्ययन में सामने आया है कि एक ही इलाज के पैकेज के लिए निजी अस्पताल, सार्वजनिक अस्पतालों की तुलना में 200 फीसदी तक अधिक दाम वसूल रहे हैं.
शुरुआती ऑडिट में सामने आए नतीजों के बाद एनएचए इस मामले को देख रहा है और जल्द ही इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर सकता है.
अध्य्यन में सामने आया कि नवजात शिशुओं के लिए बनाए गए पैकेज (जिनमें मरीज या जच्चा-बच्चा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है) के लिए निजी अस्पताल, सरकारी अस्पतालों की तुलना में तीन गुना तक ज्यादा बिल वसूल रहे हैं.
इतना ही नहीं इस तरह के शुरुआती पैकेज के लिए ही निजी अस्पताल दो गुना तक ज्यादा बिल बना रहे हैं.
योजना के तहत देश भर के कुल 18,550 अस्पताल सूचीबद्ध हैं. इनमें से 54 फीसदी निजी और अन्य सार्वजनिक अस्पताल हैं. ऐसे में निजी अस्पतालों की अधिक भागीदारी से ये और अधिक महत्तपूर्ण हो जाता है कि सरकार बीमारी की जांच से-इलाज तक की प्रक्रिया पर ध्यान दे ताकि संसाधनों का गलत इस्तेमाल ना हो.
अध्ययन में पाया गया कि निजी अस्पताल जरूरत ना होने पर भी सामान्य पैकेज की जगह मंहगे पैकेज का इस्तेमाल कर रहे हैं.
साथ ही पाया गया कि नवजात शिशु के लिए बने सामान्य पैकेज में जहां सार्वजनिक अस्पताल में 6 दिन तक रुकना होता है, वहीं निजी अस्पताल में ये अवधि 9 दिन की है. इसके अलावा क्रिटिकल पैकेज वाले मामलों में सार्वजनिक अस्पताल की तुलना में निजी अस्पताल में चार दिन अधिक रुकना होता है.
साथ ही अलग-अलग पैकेज के लिए राज्यों को पारित की गई राशि में भी अंतर पाया गया है. जैसे की झारखंड और मेघालय को स्वीकृत की गई औसत लागत छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गुजरात की तुलना में दो गुना तक अधिक है.
एनएचए द्वारा कुछ निजी अस्पतालों में किए गए ऑडिट में सामने आया कि वहां बेहतरीन डॉक्टरों की उपलब्धता, अच्छे आईसीयू, 24 घंटे डाक्टरों की उपलब्धता और अच्छा नर्सिंग स्टाफ है.
हालांकि अधिकारियों ने कहा कि आगे के ऑडिट और जांच में ही स्पष्ट हो पाएगा कि निजी और सार्वजनिक अस्पतालों में दाम में इतना अधिक अंतर क्यों है.