कश्मीर में फंड के बावजूद खर्च करने में नाकाम प्रशासन


4,000 people arrested in Jammu and Kashmir since Article 370 was abolished

 

जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को जिन वादों और उम्मीदों के साथ खत्म किया गया था सरकार उसमें सफल होती नहीं दिख रही है. राज्य में निवेश बढ़ने के बजाय राज्य में पहले से चल रहे प्रोजेक्ट का काम भी रुक गया है. पांच अगस्त को केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 में संशोधन कर जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था.

कश्मीर में इंटरनेट सेवा बंद होने की वजह से कई प्रोजेक्ट के लिए ऑनलाइन निविदाएं नहीं मंगवाई जा सकी हैं. पिछले दिनों राज्य में पोस्टपेड मोबाइल सेवा शुरू होने के बावजूद अब भी 20 लाख प्री-पेड मोबाइल सेवा चालू नहीं है. वहीं पोस्टपेड सेवा चालू होने के कुछ घंटों के बाद ही एसएमएस भेजने की सुविधा बंद कर दी गई थी.

राज्य में पहले से चल रहे इंन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए मजदूर मिलना मुश्किल हो गया है क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर चिंताओं के बीच प्रवासी मजदूर राज्य छोड़कर जा चुके हैं और मजदूरों की कमी हो गई है. वहीं राज्य में संचार के साधन नहीं होने की वजह से अबतक पंचायत को मिले प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हो सका है.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सरकार की ओर से विकास गतिविधियों के लिए कश्मीर की पंचायतों को 500 करोड़ रुपये जारी किए गए थे लेकिन अबतक ज्यादातर सरपंचों ने उसपर काम शुरू नहीं किया है.

गंदेरबल के कंगन के सरपंच मंजूर उल इस्लाम ने कहा, ‘मैं अपना इस्तीफा डिप्टी कमिश्नर को भेज चुका हूं. हमने इन चुनावों के लिए खतरा उठाया. अब एक साल होने को है लेकिन जमीन पर कुछ भी काम नहीं दिख रहा है. पांच अगस्त के निर्णय ने स्थानीय लोगों के बीच हमें अविश्वनीय बना दिया है.’

एक अधिकारी के हवाले से अखबार लिखता है कि कुपवाड़ा के कुछ हिस्सों को छोड़कर जमीन पर काम में प्रगति नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि इस साल(2019) मार्च-अप्रैल में वित्त वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18 के साथ 2018-19 की पहली किस्त का फंड एक साथ जारी किया गया. इसपर जुलाई तक ग्राम सभा गठन की वजह से काम नहीं हो सका वहीं अगस्त में कश्मीर में नाकेबंदी शुरू हो गई.

वहीं अबतक योजनाओं के लिए सरपंचों के एकाउंट  खोले नहीं जा सके हैं.

एक अधिकारी ने कहा कि केन्द्र सरकार के नियमों के मुताबिक किसी भी काम के लिए जियो टैगिंग अनिवार्य है. इसके लिए प्रोजेक्ट के अलग-अलग चरणों की फोटो को अपलोड करना जरूरी है. वहीं फंड के अनुमोदन के लिए डिजिटल हस्ताक्षर की जरूरत होती है. ऐसा तभी होगा जब रजिस्टर्ड मोबाइल पर एसएमएस प्राप्त होता है. लेकिन फिलहाल दोनों संभव नहीं है. लिहाजा कोई भी काम नहीं हो पा रहा है.

केन्द्र सरकार ने क्षतिपूर्ति के लिए कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है. वहीं ‘बैक टू विलेज’ प्रोग्राम के तहत प्रत्येक डिप्टी कमिश्नर को डेढ़ से दो करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. लेकिन इसपर काम करने के लिए भी स्थिति के सामान्य होने का इंतजार करना होगा.


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