सरकार की लेट-लतिफी से परियोजनाओं की लागत 3.89 लाख करोड़ रुपये बढ़ी


Sword hanged on job of three lakh people in real state

 

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली 373 परियोजनाओं की लागत तय समय से देरी तथा अन्य कारणों से 3.89 लाख करोड़ रुपये बढ़ गयी है.

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक लागत की परियोजनाओं की निगरानी करता है. मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में लागत बढ़ने की जानकारी दी है.

मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की 1,634 परियोजनाओं में से 552 परियोजनाएं देरी में चल रही हैं, जबकि 373 परियोजनाओं की लागत बढ़ी है.

मंत्रालय ने अगस्त 2019 के लिए जारी हालिया रिपोर्ट में कहा, ”इन 1,634 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 19,40,699.03 करोड़ रुपये थी, जिसके बढ़कर 23,29,746.02 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है. इससे पता चलता है कि इनकी लागत मूल लागत की तुलना में 20.05 फीसदी यानी 3,89,046.99 करोड़ रुपये बढ़ी है.”

रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त तक इन परियोजनाओं पर 9,75,180.06 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 41.85 फीसदी है.

मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 489 पर आ जाएंगी.

मंत्रालय ने कहा कि देरी से चल रही 552 परियोजनाओं में 181 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने की, 128 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 127 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की तथा 116 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं.

इन परियोजनाओं की देरी का औसत 38.89 महीने है.


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