अब मुद्रा के तहत मिले रोजगार का आंकड़ा छिपाएगी सरकार


Publication of employment survey delayed again

 

मोदी सरकार अब माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी(मुद्रा) के तहत सृजित नई नौकरियों पर लेबर ब्यूरो के सर्वे को ठंडे बस्ते में डालेगी. इस सर्वे को अब चुनाव खत्म होने के बाद सार्वजनिक किया जाएगा.

यह तीसरा मौका है जब केंद्र सरकार रोजगार से संबंधित किसी रिपोर्ट को छिपा रही है.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है, “मुद्रा योजना के तहत पैदा हुई नई नौकरियों की संख्या मतदान के बाद जारी की जाएगी.

केन्द्र सरकार ने बेरोजगारी पर NSSO की रिपोर्ट और लेबर ब्यूरो की छठी वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वे रिपोर्ट को आधिकारिक रूप से अब तक सार्वजनिक नहीं किया है.  मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक, चूंकि दोनों रिपोर्टों में मोदी सरकार के कार्यकाल में रोजगार की काफी धुंधली तस्वीर सामने आई है, इसलिए सरकार इनको जान-बूझकर छिपा रही है.

इससे पहले केन्द्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) की रिपोर्ट में  बेरोजगारी के 45 साल के रिकॉर्ड टूटने की बात सामने आने पर रिपोर्ट को दबा दिया था. 

लेबर ब्यूरो की छठी वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वे रिपोर्ट में 2016-17 में चार साल में सबसे अधिक बेरोजगारी दर रहने की बात सामने आई थी.

केन्द्र सरकार लेबर ब्यूरो सर्वे का इंतजार कर रही थी. लेकिन यहां भी सरकार को कुछ हाथ नहीं लगा है.

इससे पहले विशेषज्ञ समिति ने सर्वे में मौजूद ‘कुछ खामियों को दुरुस्त’ करने की बात कही है. इसके लिए दो महीनों का समय दिया गया है. समिति के सुझावों को अबतक केन्द्रीय श्रम मंत्रालय से हरी झंडी नहीं मिल पाई है.

सूत्रों के मुताबिक, आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव तक अनौपचारिक रूप से रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने का फैसला लिया गया है.

नीति आयोग ने लेबर ब्यूरो को 27 फरवरी तक सर्वे रिपोर्ट जारी करने को कहा था ताकि इसे आम चुनाव से पहले प्रकाशित किया जा सके. इसमें मुद्रा योजना के तहत सीधी नौकरी पाने वालों के साथ-साथ परोक्ष रूप से रोजगार पाने वालों की संख्या बताने को भी कहा गया था.

खबर के मुताबिक, ब्यूरो ने सर्वे में आठ अप्रैल 2015 से 31 जनवरी 2019 के बीच 97 हजार लोगों को लाभ मिलने का अनुमान लगाया है. इसमें 50,000 से अधिक लोन लेने वाले लोगों को भी लाभार्थी माना गया है.

ब्यूरो पर लाभार्थियों की संख्या को बढ़ाकर दिखाने का दबाव है. जन-धन एकाउंट में 5,000 से अधिक ओवर ड्राफ्ट लेने वालों को भी मुद्रा योजना के लाभार्थियों के तौर पर दिखाया जा सकता है.

वित्तीय सेवा विभाग(डीएफएस) ने पिछले साल कहा था कि मुद्रा योजना के तहत 90 फीसदी से अधिक लोन 50,000 रुपये कम के दिए गए हैं.

डीएफएस के मुताबिक, योजना के तहत आठ अगस्त तक 12.2 करोड़ लोन 50,000 रुपये से कम के दिए गए हैं. 1.4 करोड़ लोन 50,000 से पांच लाख रुपये के बीच के हैं.  तरुण कैटगरी में पांच लाख रुपये से अधिक के केवल 19.6 लाख लोन ही दिए गए हैं.


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