मजाक मोदी का ही नहीं, उनके ‘पढ़े-लिखे’ समर्थकों का भी बन रहा है
राजनेता अकसर अटपटे और अतार्किक बयान देते रहते हैं. अब तो ये उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा बन गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अक्सर ऐसे ही बयान देते रहते हैं. अभी हाल में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मोदी ने कुछ ऐसी बातें कहीं जो तथ्यों और तर्कों से परे है.
बालाकोट हवाई हमले में रडार का बादलों से संबंध बताकर नरेंद्र मोदी ने वाहवाही लूटने की कोशिश की. लेकिन सोशल मीडिया पर इस अधूरे ज्ञान का जमकर मजाक बनाया गया.
उनके इस इंटरव्यू में सिर्फ रडार ज्ञान ही नहीं और कई ऐसी अटपटी बातें थीं, जिनको लेकर ट्वीट की बाढ़ आ गई.
खैर ये तो हुई प्रधानमंत्री मोदी के अधूरे ज्ञान और बड़बोलेपन की बात, लेकिन ये मजाक और बहस-मुहाबसे सिर्फ मोदी तक सीमित नहीं हैं. असल में यहां मजाक उन एलीट, पढ़े-लिखे मध्यम वर्गीय मोदी प्रशंसकों का भी उड़ रहा है. जो अंधभक्ति में सारे तर्कों को नकारते हुए नजर आते हैं.
कनाडा के एक विश्वविद्यालय में डेवलपमेंट स्टडीज के प्रोफेसर निस्सिम मन्नाथुक्करेन कहते हैं, “मजाक मोदी का नहीं उड़ रहा, मजाक उनके एलीट पढ़े-लिखे मध्यम वर्गीय समर्थकों का उड़ रहा है, जिन्होंने इस मूर्खता को नजरंदाज करने को फैशन ही बना दिया है.”
टेलीग्राफ लिखता है कि जब प्रोफेसर निस्सिम से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मुद्दे पर खुलकर बात की.
उन्होंने कहा, “मैं इसे मोदी के व्यक्तित्व या उनकी समझ तक सीमित ना रखकर आगे तक सोचता हूं, मेरी रुचि इस तथ्य में ज्यादा है कि कैसे बीते पांच सालों में हिंदू दक्षिणपंथियों ने बौद्धिकता विरोध, अज्ञानता और फेक न्यूज को एक खूबी के रूप में स्थापित कर दिया है. और किस तरह से लोगों को बिल्कुल गैर-तार्किक, झूठी खासकर प्रधानमंत्री द्वारा कही गई बातों पर भरोसा करने के लिए कहा गया है.”
उन्होंने इसको लेकर मुख्यधारा की मीडिया के बर्ताव का भी जिक्र किया. निस्सिम ने कहा, “अभी हाल की घटनाओं के अलावा मोदी की गलतियों की सूची काफी लंबी है, लेकिन सबसे अहम बात ये है कि मुख्यधारा की मीडिया ने इसको ठीक करने का कोई प्रयास नहीं किया.”
उन्होंने कहा, “इस बालाकोट वाले मामले में सबसे बड़ा प्रश्न ये उठना चाहिए कि क्या रडार को लेकर अपनी गलत जानकारी के बावजूद मोदी ने सैन्य विशेषज्ञों के फैसले को पलटते हुए हमले का आदेश दिया? ये हैरान करने वाला और खतरनाक है, क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है.”
प्रोफेसर निस्सिम केरल से संबंध रखते हैं और कनाडा के विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बात न्यूज नेशन के साथ एक इंटरव्यू के दौरान कही थी. इस इंटरव्यू के दौरान सिर्फ ये ही एक बात नहीं थी जिसको लेकर मोदी का मजाक बना. इसके अलावा वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वे जिन सवालों का जवाब दे रहे थे वे स्क्रिपटेड थे और उनकी एक कॉपी मोदी के पास पहले से मौजूद थी.
सवाल नंबर 27 को उस पेपर पर साफ देखा जा सकता है जो मोदी के हाथ में है. इंटरव्यू करने वाला हूबहू वही सवाल पूछ रहा है जो मोदी के पास पहले से मौजूद हैं.
इस दौरान मोदी ने डिजिटल कैमरा और ईमेल के बारे में जो बातें कही, वो भी सरासर झूठ थीं. मोदी ने कहा था कि वे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के बहुत शौकीन हैं और उनके पास 80 के दशक में ही डिजिटल कैमरा था.
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