निजी कंपनियों को ट्रेन चलाने का आमंत्रण देने पर विचार


railways on track to get private players on track

 

नई सरकार बनने के कुछ समय के भीतर ही रेलवे के निजीकरण को लेकर सरकार की कोशिशों ने जोर पकड़ लिया है. रेलवे बोर्ड के एक हालिया पत्र से पता चलता है कि सरकार कुछ रेल रास्तों पर निजी कंपनियों द्वारा संचालित ट्रेनें चलने पर गंभीरता से विचार कर रही है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक शुरुआती प्रयोग के तौर पर रेलवे अपनी पर्यटन और टिकट सहयोगी आईआरसीटीसी को यह इजाजत दे सकता है कि वो कुछ रेल रास्तों पर पैसेंजर ट्रेन सेवाएं देने की शुरुआत करे. इसके तहत आईआरसीटीसी टिकट और बोर्ड सेवाएं दे सकता है, जिसके लिए वह रेलवे को एक निर्धारित राशि का भुगतान करेगा. ये ट्रेनें कम भीड़-भाड़ वाले और महत्त्वपूर्ण पर्यटक क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे सकती हैं, जिसका फैसला रेलवे करेगा.

ये शुरुआती पैसेंजर ट्रेनें चार महानगरों और प्रमुख शहरों की बीच दौड़ सकती हैं. जिसके बदले में आईआरसीटीसी रेलवे के वित्त विभाग को वार्षिक रूप से भुगतान करेगा.

इस संबंध में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव और अन्य सदस्यों को मिली जानकारी के मुताबिक “सब कुछ निर्धारित होने के बाद ये देखा जाएगा कि प्रमुख शहरों को आपस में जोड़ने वाले इन रास्तों पर कौन-कौन सी कंपनियां ट्रेनें चलाने की इच्छा रखती हैं.” पत्र में लिखा गया है कि रेलवे इसे लागू करने से पहले व्यापार संगठनों से सुझाव लेगी.

इसके अलावा रेलवे रेल टिकट बुक करने के दौरान सब्सिडी छोड़ने पर जोर देने के लिए एक कैंपेन शुरू करने की भी योजना बना रही है. रेलवे लोगों को संदेश देगी कि टिकट सब्सिडी के साथ और उसके बिना भी खरीदे जा सकते हैं.

यह कैंपेन उज्ज्वला योजना की तर्ज पर चलाया जाएगा, जिसमें संपन्न परिवारों से जरूरत मंद लोगों के लिए सब्सिडी छोड़ने की मांग की गई थी.

इसके साथ ही खबरें है कि सरकार रेल के कोच और दूसरे उपकरण बनाने वाली इकाइयों का भी निजीकरण कर सकती है. फिलहाल देश में सात रेलवे उत्पादन इकाइयां हैं. इन उत्पादन इकाइयों और संबंधित कार्यशालाओं की जगह सरकारी स्वामित्व वाली एक संस्था बनाने का भी सुझाव दिया गया है. इसका नाम ‘इंडियन रेलवे रोलिंग स्टॉक कंपनी’ होगा.

इसके तहत प्रत्येक उत्पादन इकाई मुख्य कार्यकारी के अंतर्गत कार्य करेगी. जो बोर्ड और चेयरमैन कम प्रबंध संचालक को रिपोर्ट करेगा. रेलवे इस संबंध में संगठनों और कैबिनेट से मंजूरी ले, जल्द से जल्द इस बादलाव को लागू करने की तैयारी में है. खबरें है कि सबसे पहले शुरुआत रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्ट्री से की जाएगी.


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