चालू वित्त वर्ष में और अधिक वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेन नहीं बनाएगा रेलवे
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भारतीय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद यादव ने कहा है कि इस वित्त वर्ष वन्दे भारत ट्रेन के डिब्बों का निर्माण नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ट्रेन की उर्जा की खपत विश्व मानकों से बहुत अधिक हो रही थी. उन्होंने कहा कि अगर हम बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करते हैं तो हम इतनी उर्जा खपत नहीं कर पाएंगे.
उन्होंने कहा,”हम 2019-20 में वन्दे भारत एक्सप्रेस को नहीं बना पाएंगे. लेकिन 2020 और 2021 के बीच 15 और 2021-2022 के बीच 25 ट्रेनों का उत्पादन करेंगे.”
उन्होंने कहा कि ट्रेन से जुड़े मुद्दों का समाधान कर दिया गया है और मार्च 2022 तक 40 और ऐसी ट्रेनें बनाई जाएंगी.
इस साल की शुरुआत में ऑटोमेटिक चलने वाली इंजन रहित ट्रेन के उत्पादन में पारदर्शिता की कमी के कारण उत्पादन रोक दिया गया था. जुलाई में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने निर्माताओं और प्रतिनिधियों से मुलाकत कर ट्रेनों के उत्पादन में पारदर्शिता लाने की बात कही थी.
इसी साल के शुरुआत में 15 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली से वाराणसी के बीच वन्दे भारत ट्रेन का उद्घाटन किया था.
इसे चेन्नई स्थित इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री ने बनाया है. यह एक सेमी- हाई स्पीड ट्रेन है जो 160 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चल सकती है. लगभग 100 करोड़ की लागत से बनी इस ट्रेन में दो फर्स्ट क्लास श्रेणी के साथ 16 डिब्बे हैं.
आईसीएफ ने पहली दो वंदे भारत ट्रेन बनाई थी. विवाद के बीच जून में तीसरी ट्रेन के लिए सभी निविदाओं को रद्द कर दिया था. दूसरी वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली से कटरा के बीच चलेगी.
भारतीय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने यह भी कहा कि जब निजी ऑपरेटर वन्दे भारत ट्रेन को चलाने के लिए काम करेंगे तो भारतीय रलवे एक नियामक बनाएगी जिसमें रेलगाड़ियों के मार्ग के साथ-साथ सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल होंगे.
उन्होंने कहा, “निजी ट्रेन ऑपरेटर के संबंध में मूल्य निर्धारण सभी मुद्दों का अध्यन कर रहे हैं. निजी ऑपरेटर तुरंत प्रभाव से नहीं आएंगे लेकिन हमें अभी से इसके लिए तैयारी करनी होगी. इस संबंध में कोई भी निर्णय सभी हितधारकों की परामर्श के बिना नहीं लिया जाएगा.”
भारतीय रेल तेजस ट्रेनों को चलाने का काम पर्यटन और खान-पान सहायक आईआरसीटीसी को देने जा रही है. मानाम जा रहा है कि यह ट्रेन ऐसी होगी जिसे राष्ट्रीय परिवहन के अलावा कोई दूसरा संचालन करेगा. इन दोनों ट्रेनों को आईआरसीटीसी को सौंपने के पीछे का मकसद निजी क्षेत्रों को इस काम में लाना है जो यात्रियों को विश्व स्तर की सेवा मुहैया कराने के विचार को पूरा करेंगे.
इस ट्रेन में दी गई सेवाओं से यात्रियों को सुविधा हुई है. माना जा रहा है कि राजधानी और शताब्दी की तुलना में यह एक गेम चेंजर के रूप में उभरेगी. आईआरसीटीसी तेजस को दो रूट पर चलाएगी. एक दिल्ली से लखनऊ चले गी और दूसरी अहमदाबाद से मुंबई सेंट्रल. माना जा रहा है कि दूसरी ट्रेन दिसंबर के महीने से पटरियों पर दौड़ने लगेगी.