राजस्थान: दलित महिला ने पुलिसकर्मियों पर लगाया सामूहिक बलात्कार का आरोप


one convict in nirbhaya rape and killing case files review petition against death sentence

  प्रतीकात्मक चित्र

राजस्थान के चूरू जिले की रहने वाली एक 35 वर्षीय महिला के परिवार ने पुलिसकर्मियों पर महिला के साथ गैंग रेप का आरोप लगाया है. परिवार का आरोप है कि चोरी के इल्जाम में महिला को आठ दिन पुलिस हिरासत में रखा गया और इस दौरान उसके साथ पुलिसकर्मियों ने लगातार बलात्कार किया.

इंडियन एक्सप्रेस ने पुलिस के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि महिला के देवर को छह जुलाई को गिरफ्तार किया गया था और उसी रात पुलिस हिरासत में ही उसकी मौत हो गई. इसके लिए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की देखरेख में मामले की न्यायिक जांच की जा रही है.

मीडिया से बात करते हुए महिला के पति ने बताया, “30 जून को पुलिस ने मेरे 22 साल के भाई को चोरी के मामले में गिरफ्तार किया. तीन जुलाई को वे उसके साथ आए, लेकिन वे बाद में उसी दिन उसे और मेरी पत्नी को फिर से लिए चले गए. बाद में 6-7 जुलाई को उन्होंने मेरे भाई प्रताड़ित किया और उसकी हत्या कर दी. मेरी पत्नी इस प्रताड़ना की गवाह थी, पुलिस ने उसका गैंग रेप किया. उन्होंने उसके नाखून उखाड़ लिए, आंखों और अंगुलियों को चोट पहुंचाई.”

महिला के पति ने कहा कि उसके भाई की मौत के बाद भी 10 जुलाई तक उसकी पत्नी को पुलिस हिरासत में रखा गया.

इस घटना के सामने आने के बाद चूरू के एसपी राजेन्द्र कुमार को हटा दिया गया है. इसके अलावा उस सर्किल के पुलिस अधिकारी को भी निलंबित कर दिया गया है.

इससे पहले हिरासत में मौत के मामले में पुलिस थाने के एसएचओ, एक हेड कांस्टेबल और छह अन्य कांस्टेबल को बर्खास्त कर दिया गया था.

महिला के एक अन्य देवर ने बताया, “छह जुलाई को जब मेरे भाई को पुलिस गांव से ले गई थी, तब उससे कहा गया था कि वह आखिरी बार अपने परिवार को देख रहा है. आठ दिन पुलिस हिरासत में रहने के बाद जब 10 जुलाई को मेरी भाभी घर वापस आईं तो उनकी हालत बहुत बुरी थी.”

11 जुलाई को महिला को जयपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसके बाद उसके परिवार ने अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर इस मामले में कार्रवाई की मांग की.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक(अपराध), बीएल सोनी ने बताया कि महिला का बयान दर्ज कर लिया गया है. उन्होंने कहा, “हमने दावों के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है और मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी है.”

इस मामले में जहां एक ओर महिला के परिवार वाले दावा कर रहे हैं कि पुलिस हिरासत में मरने वाले व्यक्ति को 30 जून को गिरफ्तार किया गया था. वहीं पुलिस कह रही है कि उसे तीन जुलाई को हिरासत में लिया गया था, फिर छोड़ दिया गया. इसके बाद उसे दोबारा छह जुलाई को गिरफ्तार किया गया.

अपर पुलिस अधीक्षक प्रकाश कुमार शर्मा ने बताया, “तीन जुलाई को पुलिस के पास सूचना आई की गांव में एक चोर को पकड़ा गया है. पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो देखा कि गांव वालों ने चोर की पिटाई की है. उसे पुलिस थाने लाया गया, जहां पाया गया कि बीते साल चोरी के एक मामले में की गई एफआईआर में उसका नाम शामिल था. हालांकि इस मामले में कोई चार्जशीट फाइल नहीं की गई थी.”

उन्होंने बताया, “स्थानीय पुलिस के मुताबिक उसे छह जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. उस थाने के पुलिसकर्मियों ने बताया कि वह करीब एक बजकर 45 मिनट पर बीमार हो गया. जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया जहां 2.15 बजे उसकी मौत हो गई.”

उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसकी मौत हृदय गति रुक जाने से हुई थी. व्यक्ति की मौत से जुड़े सभी तथ्यों की न्यायिक जांच की जा रही है.


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