शेक्सपियर, नेहरू से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज खा रहे धूल


Rare documents await preservation in IIT Roorki

  BRITISH LIBRARY से साभार

दुर्लभ ऐतिहासिक दस्तावेजों को संरक्षित रखने के मामलों में भारतीय पुस्तकालयों के रिकॉर्ड पर हमेशा से सवाल खड़े होते रहे हैं. इस सिलसिले में अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स आफ इंडिया’ की एक खबर बेहद दिलचस्प और ध्यान खींचने वाली है.

अखबार ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रुड़की में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के तीन भाषाओं (अंग्रेजी, हिन्दी और उर्दू) में हस्ताक्षर वाला एक दस्तावेज और विलियम शेक्सपियर के संपूर्ण लेखन वाला एक बेहद दुर्लभ संस्करण धूल खा रहा है.

नेहरू के दस्तावेज पर 25 नवंबर, 1949 की तारीख लिखी है जबकि विलियम शेक्सपियर का संस्करण साल 1623 का है. इसके अलावा भी संस्थान के पुस्तकालय में ऐसे हजारों ऐतिहासिक दस्तावेज मौजूद हैं जिन्हें संरक्षण की जरुरत है.

ये ऐतिहासिक दस्तावेज शोधार्थियों को समाज और संस्कृति से जुड़े बहुत से पहलुओं के अध्ययन में मदद करते हैं. आईआईटी, रुड़की का यह पुस्तकालय ब्रिटिश काल का है. यहां उस समय की कई दुर्लभ तस्वीरें और दस्तावेज बिलकुल सामान्य हालत में रखे गए हैं. इन दिनों पुस्तकालयों में ऐसे दस्तावेजों की माइक्रोफिल्मिंग कर संरक्षित रखा जाता है, लेकिन आईआईटी, रुड़की के पुस्तकालय में फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.

इतना ही नहीं, अखबार के अनुसार, ‘Mr. William ‘Mr. William Shakespeare’s Comedies, Histories, & Tragedies’ शीर्षक वाले शेक्सपियर के संपूर्ण लेखन का संस्करण एक साधारण से कार्डबोर्ड बॉक्स में रखा है. इसके पन्नों को बेहद लापरवाही से अलग-अलग कर रखा गया है. इसके कवर पेज पर हाथ से प्रकाशन का ‘वर्ष 1623’ लिखा है. इस किताब के प्रकाशित संस्करण को जानकार और शोधार्थी इतिहास अध्ययन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं.

साल 2001 इस किताब की एक प्रति को न्यूयार्क में लगभग 60 लाख रुपये में बेचा गया था.

हालांकि खबर के मुताबिक़, संस्थान का प्रशासन जल्द ही इन दस्तावेजों को संरक्षित रखने के लिए एक म्यूजियम बनाने की योजना बना रहा है.


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