मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए आरसीईपी सदस्यों ने की बैठक
16 देशों के सदस्यों वाली क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समूह के व्यापार मंत्रियों ने मुक्त व्यापार समझौते को मान्यता देने के लिए बैठक की. उन्होंने इस साल के आखिर तक इस समझौते को अंतिम रूप देने का संकल्प लिया है. उन्होंने इस बात को भी संज्ञान में लिया कि बढ़ते हुए संरक्षणवाद का असर कुछ सदस्य देशों के समझौते के पक्ष पर भी पड़ेगा. इस समझौते में भारत के पक्ष से कई देश गंभीर रूप से सहमत नहीं हैं.
मंत्रियों की बैठक रविवार 8 सितंबर को बैंकॉक में हुई है. 7वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में जारी किए गए साझा ब्यान के अनुसार मंत्रियों ने माना है कि बातचीत एक महत्वपूर्ण मुकाम पर पहुंच चुकी है और समझौते को अंतिम रूप देने के दिन करीब आ रहे हैं.
संयुक्त ब्यान के अनुसार, “समझौते से जुड़ी बाकी चुनौतियों के बावजूद आरसीईपी देशों के सदस्य उन मूल मुद्दों पर काम कर रहे हैं जो समझौते को अंतिम रूप देन के लिए महत्वपूर्ण हैं.”
आरसीईपी एक ऐसा प्रस्तावित व्यापार समझौता है जो दस देशों के बीच होना है. इसमें दस आसियान सदस्य (ब्रुनेई , कंबोडिया , इंडोनेशिया , लाओस , म्यामांर , फिलिपीन , सिंगापुर , थाइलैंड और वियतनाम) और उनके छह मुक्त व्यापार भागीदार आस्ट्रेलिया , चीन , भारत , जापान , दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. इस समूह के साथ आने से 25 फीसदी वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद, 30 फीसदी वैश्विक व्यापार, 26 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और 45 फीसदी विश्व की आबादी पर प्रभाव पड़ेगा.
भारत इस समझौते से एक संतुलित निष्कर्ष चाहता है. भारत सेवा व्यापार में, जिसमें प्रशिक्षित कामगारों के आने-जाने में आसानी हो, इसके लिए मजबूत समझौते के पक्ष में है. हालांकि, कई देश भारत के इस प्रस्ताव को मानने के लिए सहमत नहीं हैं.
2018-19 में चीन के मुकाबले भारत का व्यापार घाटा 53 बिलियन डॉलर रहा. इसके अलावा आरसीईपी देशों के मुकाबले यह 105 बिलियन डॉलर रहा. इसलिए माना जा रहा है कि आगे सीमा शुल्क में छूट देना चीन के घरेलू उद्योग के लिए हानिकारक हो सकता है.
जापानी व्यापार मंत्री हीरोशिगे सेको ने ट्वीट कर कहा, “आरसीईपी की मंत्रिस्तरीय बैठक खत्म हो चुकी है. इस बार बैठक बिना किसी बाधा के संपन्न हुई. मैं अभी ज्यादा नहीं कह सकता हूं क्योंकि हम अभी बातचीत कर रहे हैं. लेकिन मेरे ख्याल से नवंबर में होने वाले बैठक के मद्देनदर हमने समझौते की तरफ आगे कदम बढ़ाया है.”
इसके बाद सभी देशों के प्रमुख नवंबर में मुलाकात करेंगे. तब इस समझौते की समापन की घोषणा होने की उम्मीद है.
न्यूजीलैंड के कृषि मंत्री डेमिएन ओ कोनोर ने ट्वीट कर कहा, “इस समझौते के समापन के लिए मंत्री कड़ी मेहनत कर रहे हैं. न्यूजीलैंड इस समझौते के जरिए लगभग विश्व की आधी आबादी के साथ काम करेगा है. इससे हमें भारत के साथ मुक्त व्यापार संबंध बनाने का मौका मिलेगा.”
व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा, “आज बैंकॉक में 7वीं आरसीईपी मंत्रिस्तरीय बैठक के पूर्ण सत्र में भाग लिया. विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत का स्थान खास है. इस समझौते में विचार-विमर्श से व्यापार और निवेश में एक स्थिर वृद्धि होगा.”
संयुक्त बयान के मुताबिक व्यापार और निवेश के माहौल में जारी अनिश्चितताओं के कारण दुनिया भर में विकास के दृष्टिकोण में गिरावट आई है. इससे व्यवसायों और नौकरियों पर एक संभावित प्रभाव पड़ रहा है. जो आरसीईपी वार्ता के समापन की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है.
विश्व स्तर पर व्यापारिक वातावरण में हो रहे बदलाव का असर समझौते की बातचीत के दौरान हर एक देश के पक्ष पर पड़ सकता है. इसलिए मंत्रियों ने यह माना है कि आरसीईपी के उद्देश्यों को विस्तारित करने के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण और देशों के आपसी संबंध को मजबूत करने के लिए मूल्यों को नहीं खोना चाहिए.