रिपोर्टर डायरी: राजीव गांधी की वर्षगांठ को लेकर गुलजार है कांग्रेस दफ्तर


reporter dairy from bilal sabjwari

 

कल यानी 20 अगस्त को भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं वर्षगांठ है. इसको लेकर कांग्रेस दफ्तर 24 अकबर रोड पर रौनक एक बार फिर बढ़ गई. कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से लेकर नेता तक पार्टी दफ्तर पर एक दिन पहले कलफ लगे कुर्ते पाजामे में खूब नजर आए.

थोड़ी रौनक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आने से बढ़ गई. हालांकि, वो सोनिया गांधी से मिलने आए थे. लेकिन, बाद में पार्टी दफ्तर पर कुछ समय मोतीलाल वोहरा और उसके बाद पी एल पुनिया के दफ्तर में आकर बैठे. उनसे मिलने के लिए लोगों की भीड़ बाहर रुकी रही. जब, बघेल निकले तो उनके साथ काफी लोग भी पीछे पीछे निकल लिए.

सोनिया गांधी भी आज अपने आवास 10 जनपथ पर राजीव गांधी के कार्यक्रमों को लेकर काफी लोगों से मिलीं. उन्होंने लोगों का हालचाल पूछा और अच्छा काम करने का आशीर्वाद देकर मिलने वालों को रवाना किया.

पार्टी दफ्तर पर अधिकतर लोगों की जबान पर राजीव गांधी के कार्यक्रम को लेकर चर्चा देखने और सुनने को मिली. कही रक्त शिवरों के आयोजन पर बात और कहीं राजीव गांधी पर आयोजित किए गए ऑनलाइन क्विज पर चर्चा सुनने को मिली. क्विज में पूछा गया है कि आप राजीव गांधी के बारे में कितना जानते हैं? सवालों के सही जवाब देने वाले को 2 हजार रुपये तक का ईनाम मिलेगा को लेकर लोग खुश थे. लेकिन जब बाद में पता चला कि यह केवल बच्चों के लिए है तो लोग हंसने लगे.

पार्टी दफ्तर पर एक और मजेदार बात हुई. ब्रीफिंग के समय आरक्षण के मुद्दे पर जब पीएल पुनिया और उदित राज एक साथ बोलने आए तो कौन बड़ा दलित नेता है, को लेकर होड़ लग गई. ब्रीफिंग समाप्ति के करीब पुनिया ने उदित राज पर चुटकी लेते हुए कह ही दिया कि उदित जी भाजपा से आए हैं इसलिए वे भाजपा को अच्छी तरह समझते हैं. वे भाजपा के बारे में जो कहेंगें ठीक ही है, जिसको लेकर सभी पत्रकार हंस पड़े.

हुड्डा को लेकर भी पार्टी दफ्तर पर चर्चा गर्म रही. लोग हंस हंसकर बोल रहे थे कि हुड्डा के आने-जाने से क्या फर्क पड़ता है. जो उसको करना था कर दिया. अगर वो जाता है तो चार या पांच सीट और नहीं तो एक दो और बढ़ जाएंगी. लेकिन हरियाणा में कांग्रेस खत्म हो गई है. बची खुची जो भी है हुड्डा के कारण ही है. हुड्डा चला गया तो सब खत्म है. जबकि हरियाणा से आए कुछ नेताओं का कहना है कि अच्छा है चला जाए. हरियाणा में अब जाट विरोधी राजनीति का दौर शुरू हो गया है. अब सोनिया गांधी ही हुड्डा को कुछ समझा सकती हैं, वरना वो नहीं मानने वाला. उसकी पहली शर्त तंवर को हटाना और खुद प्रदेश अध्यक्ष बनना है. पार्टी इसपर कितनी राजी होगी वक्त बताएगा.


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