अध्यादेश के बावजूद IIM में आरक्षण लागू नहीं


Reservations are not applicable in the IIM despite the ordinance

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सात मार्च को केन्द्र सरकार द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए लाए गए अध्यादेश के बाद भी भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अपने यहां शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण नहीं देंगे.

नए अध्यादेश में आईआईटी और आईआईएम सहित केन्द्र की सभी शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण लागू करने की बात कही गई है.

अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ के मुताबिक, आईआईएम के निदेशक और वरिष्ठ शिक्षक संस्थान में आरक्षण व्यवस्था नहीं चाहते हैं.

अध्यादेश के मुताबिक, सभी शैक्षणिक संस्थाओं में शैक्षणिक भर्तियों में अनुसूचित जाति के लिए 15 फीसदी, आदिवासियों के लिए 7.5 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है. नई व्यवस्था में विभागवार आरक्षण को खत्मकर संस्थान को एक यूनिट माना गया है.

लेकिन आईआईएम में अब तक आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है. केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की ओर से 1975 में जारी एक पत्र के मुताबिक, विज्ञान संबंधी और तकनीकी संस्थाओं को आरक्षण से अलग रखा गया है. इन संस्थानों में अब तक समाज के पिछड़े तबकों से आने वाले लोग सामान्य वर्ग से सीधी प्रतियोगिता कर नियुक्ति पाते हैं.

द टेलिग्राफ के अनुसार, अभी कुल छह  में से चार आईआईएम संस्थानों में 429 में से 344 पदों पर सामान्य वर्ग के शिक्षक नियुक्त हैं. इनमें 10 ओबीसी और तीन दलित हैं जबकि एसटी समुदाय से एक भी शिक्षक नहीं है. इन संस्थानों में 72 पद खाली हैं. जबकि दो संस्थान सामाजिक कोटे के आधार पर नियुक्ति का रिकार्ड नहीं रखते हैं.

एक आईआईएम निदेशक के मुताबिक, “प्रबंधन एक तकनीकी शिक्षा है. आईआईएम में आरक्षण लागू नहीं किया गया है क्योंकि यहां के सभी शैक्षणिक पद तकनीकी पद के दायरे में आते हैं. जब तक केन्द्र सरकार पहले से जारी आदेश को खत्म नहीं करती है, तब तक आईआईएम नए आध्यादेश के नियमों को मानने केि लिए बाध्य नहीं है.”

आईआईटी  में साल 2008 तक आरक्षण लागू नहीं था. मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से विज्ञान और तकनीकी विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए और मानविकी और प्रबंधन विषयों में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर सहित सभी शैक्षणिक पदों के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया गया था.

लेकिन मंत्रालय की ओर से आरक्षण लिए आईआईएम को केवल सलाह जारी की गई थी. हाल ही में बने आईआईएम एक्ट में भी आरक्षण का प्रावधान नहीं है.

आईआईएम कलकत्ता के एक शिक्षक के मुताबिक, प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में अब पीएचडी कार्यक्रमों में पिछड़े वर्ग के छात्रों को आरक्षण देने की शुरुआत की गई है.

केन्द्र सरकार के पूर्व सचिव रह चुके पीएस कृष्णन कहते हैं कि आईआईएम को आरक्षण से अलग रखने का कोई कारण नहीं है. सरकार को 1975 में जारी आदेश को वापस ले लेना चाहिए.

अंबेदकरवादी और 13 प्वाइंट रोस्टर के विरोध में आंदोलन करने वाले एन सुकुमार कहते हैं कि आईआईएम में आरक्षण लागू करवाने के लिए अगली लड़ाई लड़ी जाएगी.

वह कहते हैं, “आईआईएम शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण लागू नहीं किया गया है. आईआईटी ने केवल तकनीकी विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए ही आरक्षण लागू किया है. कुछ संस्थान  अनौपचारिक रूप से विज्ञापन निकाल रहे हैं; जिसमें पदों की संख्या और आरक्षित पोस्ट का जिक्र नहीं होता है.

वह अगली लड़ाई इसी गड़बड़ी के खिलाफ करने की बात करते हैं.


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