1993 के रोपड़ फर्जी एनकाउंटर में एसएचओ को उम्रकैद


charge sheet will be filed within a month in dabholkar murder case says cbi

 

सीबीआई की विशेष अदालत ने 1993 में हुए रोपड़ फर्जी एनकाउंटर मामले में तीन पुलिसकर्मियों को अपराधी करार देते हुए सजा सुनाई. इस मामले में रिटायर्ड एसएचओ हरजिंदर पाल सिंह को उम्रकैद और एक डीएसपी और सब इंस्पेक्टर को दो-दो साल की सजा का आदेश दिया गया.

अंग्रेजी वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, ये मामला 1993 का है जब गुरमेल सिंह और कुलदीप सिंह को पुलिस कस्टडी में एनकाउंटर दिखाते हुए मार दिया गया था. इस मामले में एनकाउंटर के बाद मृतकों की लाश को लावारिस बताकर जला दिया गया था.

सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए एसएचओ पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसे मृतकों की पत्नियों को दिया जाएगा. इस मामले में सब इंस्पेक्टर बचन सिंह और डीएसपी अवतार सिंह को दो-दो साल की सजा सुनाई गई और 20-20 हजार का जुर्माना भी लगाया गया, लेकिन अदालत ने उनको प्रोबेशन पर रिहा कर दिया.

वहीं साक्ष्य न मिलने की वजह से डीएसपी जसपाल, कांस्टेबल हरदी राम, कांस्टेबल करनैल सिंह को बरी कर दिया गया.

मई 1997 में सीबीआई ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ ये मामला दर्ज किया था. दोनों मृतकों के परिवार ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी.

इस मामले में सबसे पहले एक फरवरी 1993 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसमें कहा गया था कि एसएचओ हरजिंदर, कुलदीप और गुरमेल से हथियारों के बारे में पूछताछ कर रहे थे. इसके बाद पुलिस ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी और बताया गया कि उनकी मौत एक मुठभेड़ में हुई है. यहां तक कि पुलिस ने उनको लावारिस घोषित कर दिया.


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