लोकलुभावन ताकतों का उदय न्यायपालिका के सामने चुनौती: CJI
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि लोकलुभावन ताकतों के उदय से न्यायपालिका की आजादी के सामने चुनौती पेश हो रही है. उन्होंने न्यायपालिका से इन ताकतों के खिलाफ खड़े होने और अपने संवैधानिक स्वभाव को बचाने का अनुरोध किया.
रंजन गोगोई शंघाई सहयोग संगठन देशों के चीफ जस्टिस और जजों को एक कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. इस दौरान चीफ जस्टिस ने लोकलुभावन चलन के उदय की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये ताकतें जजों की यह कहकर उपेक्षा कर रही हैं कि ये गैर चुने लोग चुने हुए लोगों के फैसले पलट रहे हैं.
उन्होंने कहा “पूरी दुनिया में इस तरह के चलन से न्यायिक अंगों पर जबरदस्त दबाव है. और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कुछ मामलों में न्यायपालिका ऐसी ताकतों के सामने घुटने टेकती नजर आए.”
गोगोई ने कहा, “यह एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां न्यायपालिका को इन ताकतों से संस्थान की आजादी को बचाने के लिए खुदको तैयार और मजबूत करना होगा.”
हालांकि चीफ जस्टिस इस दौरान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अपनी बात रख रहे थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने एनडीए सरकार की उस मांग की ओर भी इशारा किया जिसमें वह न्यायिक नियुक्तियों में कार्यकारी भूमिका की बात करती रही है. उन्होंने कहा, “जजों की गैर-राजनीतिक नियुक्तियां ही न्यायपालिका की आजादी को सुनिश्चित कर सकती हैं.”
इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद न्यायिक नियुक्तियों में सरकारी भूमिका की मांग उठा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि वे और उनका मंत्रालय कोई पोस्ट ऑफिस नहीं है. उनका इशारा ऐसी नियुक्तियों में सरकारी हितों की ओर था.
रंजन गोगोई ने स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए कुछ जरूरी बिंदुओं पर भी बात की. उन्होंने कहा, “गैर-राजनीतिक नियुक्तियां, कार्यकाल सुनिश्चित होना और हटाने के लिए नियमों का सख्त होना, जजों की प्रतिष्ठा, पारिश्रमिक और प्रतिरक्षा को सुनिश्चित करना, आंतरिक जवाबदेही प्रक्रिया और जजों के लिए नियमों को लागू करने, जैसे उपाय ही न्यायपालिका की आजादी को सुनिश्चित कर सकते हैं.”
चीफ जस्टिस जिस ओर इशारा कर रहे थे वैसी बातें देश में कई बार सामने आ चुकी हैं. जब कहा गया है कि गैर-निर्वाचित ताकतें चुनी हुई सरकारों के फैसलों को पलट रही हैं, जो कि ठीक नहीं है.
भारत में 2015 में ये रुख सामने आया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने संसद के कोलेजियम सिस्टम को बदलने वाले फैसले को पलट दिया था.