एंटीबायोटिक से प्रदूषित नदियां इंसानों और वन्य जीवन के लिए बन रही खतरा


rivers are polluted by antibiotics across the world

 

दुनियाभर की तमाम नदियों में एंटीबायोटिक की मात्रा सुरक्षित स्तर से कहीं ऊपर जा चुकी है. पर्यावरण वैज्ञानिकों के एक हालिया अध्ययन में ये बात सामने आई है. इसमें कहा गया है कि 72 देशों की नदियां एंटीबायोटिक से बुरी तरह प्रदूषित हो चुकी हैं.

इस तरह के अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने कुल 711 सैंपल इकट्ठे किए, जिसमें से दो तिहाई से अधिक मामलों में कुछ एक जैसे एंटीबायोटिक पाए गए हैं. अध्ययन में बताया गया है कि ज्यादातर जगहों पर मनुष्यों और जानवरों को बैक्टीरिया के इंफेक्शन से बचाने के लिए दिया जाने वाला एंटीबायोटिक बहुत ज्यादा मात्रा में एकत्र हो गया है.

अध्ययन के मुताबिक इनमें से 50 जगहों पर ‘साइप्रोफ्लोएक्सिन’ नाम का एंटीबायोटिक पाया गया है. ये दवाई आंत और मूत्रमार्ग से संबंधित इंफेक्शन के दौरान दी जाती है.

इसके अलावा बांग्लादेश में एक जगह ‘मेट्रोनिडाजोल’ की मात्रा जरूरत से 300 गुना अधिक पाई गई है. ये एंटीबायोटिक बहुत अधिक प्रयोग में आता है. वैज्ञानिकों से इस खुलासे को आंखें खोल देने वाला और बहुत चिंताजनक बताया है.

पानी में इस तरह से एंटीबायोटिक का बढ़ जाना ना सिर्फ वन्य जीवन के लिए खतरा है बल्कि इंसानों की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी चुनौती है.

एंटीबायोटिक की मात्रा जरूरत से ज्यादा शरीर में पहुंचने से शरीर उसके लिए प्रतिरोध पैदा कर लेता है, जिससे बीमारी के समय दी जाने वाली एंटीबायोटिक का असर नहीं होता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पहले ही चेतावनी जारी कर चुका है कि दुनिया में ऐसे एंटीबायोटिक की मात्रा बहुत कम रह गई है जिसका इंसानों के शरीर पर असर हो रहा हो.

1920 में पहली बार दुनिया का सामना एंटीबायोटिक से हुआ. तब से ये दवाई जीवन के लिए वरदान साबित हुई है. न्यूमोनिया, टीबी सहित बैक्टीरिया से होने वाली तमाम बीमारियों के इलाज में इस दवा ने मुख्य भूमिका निभाई है.

इस अध्ययन में ऐसी नदियां ज्यादातर एशिया और अफ्रीका में पाई गई हैं. लेकिन यूरोप की नदियों में भी इसकी मात्रा सुरक्षित स्तर से ज्यादा है.

जिन देशों की नदियों में सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक पाई गई हैं, उनमें बांग्लादेश, केन्या, घाना, पाकिस्तान और नाइजीरिया के नाम शामिल हैं.


ताज़ा ख़बरें