बीजेपी के करीबी सज्जाद लोन हिरासत में, पत्नी भविष्य को लेकर निराश


sajjad lone wife Asma Khan shows concerns over future

 

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और कश्मीर से बीजेपी के करीबी माने जाने वाले सज्जाद लोन को बीते एक हफ्ते से हिरासत में रखा गया है. लोन की पत्नी आसमा खान ने कहा कि सज्जाद को सरकार से अनुच्छेद 370 हटाए जाने जैसे कदम की उम्मीद नहीं थी. सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद उन्होंने भविष्य को लेकर आशंका जाहिर करते हुए कहा कि अब आगे कोई कदम उठाने से पहले उन्हें अधिक सर्तकता और गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.

राज्य को दो हिस्सों में बांटने और अनुच्छेद 370 हटाने से पहले घाटी से लोन सहित तमाम प्रमुख राजनेताओं और अलगाववादियों को हिरासत में ले लिया गया था.

सज्जाद लोन को श्रीनगर स्थित शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में हिरासत में रखा गया है. आसमा ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्स्प्रेस को बताया कि “सरकार के इस फैसले का प्रभाव हमारे भीतर तक की क्षेत्रीय समझ पर हुआ है और मुझे पूरा भरोसा है कि अब वो आगे हालात को देखते हुए अपना फैसला करेंगे.”

सज्जाद लोन के पिता अब्दुल गनी लोन 2002 में एक आतंकी घटना में मारे गए थे. लोन ने नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी. उन्होंने प्रधानमंत्री को अपना बड़ा भाई कहा है. विधान सभा चुनावों के बाद पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार में उन्हें बीजेपी कोटा से मंत्री भी बनाया गया था.

बीते साल जब नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी द्वारा पंचायत और अन्य स्थानीय चुनावों का बहिष्कार किया गया उस दौरान लोन ने चुनाव कराने में अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि लोन केंद्र द्वारा विशेष राज्य के दर्जे के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ का लागतार विरोध कर रहे थे.

सरकार के फैसले से पहले श्रीनगर में हुई सभी सर्वदलीय बैठकों में वो शामिल रहे थे. इन बैठकों में सरकार द्वारा कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीने जाने को लोगों के प्रति आक्रामकता करार दिया गया था.

आसमा ने बताया कि आखिरी बार सज्जाद से उनकी बात चार अगस्त को हुई थी. आसमा ने कहा, “वो काफी परेशान लग रहे थे. बहुत सी अटकलें लगाई जा रही थीं पर मुझे लगता है कि उन्हें अंदाजा नहीं होगा की इतना बड़ा कदम उठाया जाएगा.”

उन्होंने कहा, “सज्जाद ने करीबियों की सलाह और जिस तरह का संवाद कायम किया गया था उसके खिलाफ जाते हुए अपने निजी जोखिम पर मुख्यधारा राजनीति में जाने का फैसला किया. उन्हें लगा कि ऐसा करके वो बदलाव लाएंगे और नौकरी और विभिन्न स्तरों पर अपना योगदान देंगे. जो भी सीमित शक्तियां उन्हें मिली उन्होंने उनमें अपना बेहतरीन योगदान देने की कोशिश की. उन्हें लगा कि वो अपनी एक अलग विरासत कायम करेंगे.”

“आज वो अपने आपको मुश्किल परिस्थितियों में पा रहे हैं.” आसमा आज खुद को निराश और ठगा हुआ सा महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा, “मैं सज्जाद के राजनीतिक फैसला का हिस्सा कभी नहीं रही, लेकिन फिर भी किसी भी तरह के विवाद का सबसे पहला प्रभाव मुझ पर होता है. आगे रास्ता बहुत मुश्किल है. मुझे अपने जवान बेटे की सबसे ज्यादा चिंता होती है. हमारे भीतर और आसपास जो डर हम महसूस करते है यह सब काफी थका देने वाला अनुभव है… और अब इस फैसले के बाद डर और बढ़ गया है. इन सब की काफी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है.”

“स्कूल से आकर मेरे बच्चे सबसे पहले अपने पिता के बारे में पूछते हैं वो पूछते हैं कि क्या हम उनसे बात कर पाएंगे.. उन्हें खाना तो अच्छे से मिल रहा है ना. ये सवाल जितने मासूम लगते हैं उससे कहीं ज्यादा गंभीर हैं. मैं सोचती हूं कि इन सबका जवान कश्मीरी पीढ़ी पर क्या प्रभाव होगा.”

मूल रूप से गिल्गिट-बाल्टिस्तान से आने वाली और क्षेत्रीय अधिकारों की वाकालत करने वाली आसमा ने कहा, एक महान देश के रूप में भारत ने जिस तरह का उदाहरण पेश किया है उसके बाद मैं बस उम्मीद करती हूं कि भारत कश्मीर की आवाम को इज्जत दे.

उन्होंने भविष्य को लेकर अपनी उम्मीदों पर कहा, “जैसे ही मेरे बच्चे यहां से दूर यूनिवर्सिटी चले जाएंगे, तब मैं यहां श्रीनगर में एक नई शुरुआत करने के बारे में सोच रही हूं. मैं जमीनी स्तर पर समाज सेवा करने पर विचार कर रही हूं. लोगों को मुझसे उम्मीदें हैं. मुझे अभी भी लगता है कि मेरा पास वो मौका और ओहदा है कि मैं इस सपने को पूरा कर सकूं.”


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