सारदा चिटफंड: सुप्रीम कोर्ट ने एयरटेल, वोडाफोन से मांगा जवाब


review petition filed in ayodhya verdict

 

सुप्रीम कोर्ट ने सारदा चिटफंड मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) के आवेदन पर 29 मार्च को एयरटेल और वोडाफोन से जवाब मांगा है. जांच ब्यूरो ने इन दोनों सेवा प्रदाताओं पर सारदा चिटफंड मामले की जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष मोबाइल सेवा प्रदाताओं ने इन आरोपों से इंकार किया. इस पर पीठ ने सीबीआई की अर्जी को आठ अप्रैल को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया है.

इससे पहले, जांच ब्यूरो की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पूरी तरह से अराजकता की स्थिति है और कानून व्यवस्था नहीं है.

जांच एजेन्सी ने हाल ही में इस घोटाले के सिलसिले में तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से की गई पूछताछ से संबंधित रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को राजीव कुमार से पूछताछ के बारे में जांच ब्यूरो की रिपोर्ट में किए गए खुलासे को ‘बहुत ही गंभीर’ बताया था. और कहा था कि यदि उसके सामने कुछ बहुत ही गंभीर तथ्य पेश किये जाते हैं तो वह इनके प्रति आंखें मूंदे नहीं रह सकता है.

कोर्ट ने जांच एजेन्सी को राजीव कुमार के खिलाफ उचित राहत के लिये दस दिन के भीतर आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया था. राजीव कुमार पहले इस चिटफंड घोटाले की जांच के लिए राज्य के विशेष जांच दल के मुखिया थे.

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ अवमानना कार्यवाही खत्म करने से इंकार कर दिया था. जांच ब्यूरो ने पश्चिम बंगाल पुलिस पर अधूरी जानकारी उपलब्ध कराने और विवरण के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रही है.

पश्चिम बंगाल का चर्चित चिटफंड घोटाला साल 2013 में सामने आया था. अप्रैल 2013 में 3,000 करोड़ के इस घोटाले का खुलासा हुआ था.

आरोप है कि शारदा ग्रुप की कंपनियों ने गलत तरीके से निवेशकों के पैसे जुटाए और उन्हें वापस नहीं किया. इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठाए गए थे.


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