हत्या के मामले में दोषी सरवण भवन के संस्थापक राजगोपाल का निधन
सरवण भवन के संस्थापक पी राजगोपाल का 18 जुलाई को चेन्नई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह हत्या के मामले में दोषी थे और कुछ दिन पहले ही उन्होंने आत्मसमर्पण किया था.
जानकारी के अनुसार राजगोपाल (73) का विजय स्वास्थ्य केन्द्र में सुबह करीब 10 बजे ‘सेप्टिक शॉक’ (यह एक जानलेवा अवस्था है जो शरीर के थोड़े हिस्से में या पूरे तंत्र में संक्रमण की वजह से होती है) से निधन हो गया.
राजगोपाल के बेटे की अपील के बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें सरकारी ‘स्टेनली मेडिकल कॉलेज अस्पताल’ से एक निजी अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया था.
उनके बेटे ने कहा था कि उनके पिता की हालत बिगड़ती जा रही है.
उच्चतम न्यायालय ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए और समय की मांग करने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद दक्षिण भारतीय खाने के लिए मशहूर सरवण भवन के संस्थापक राजगोपाल ने नौ जुलाई को एक स्थानीय अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था.
गिरफ्तारी के तुरन्त बाद ही उन्हें सरकारी अस्पताल के ‘दोषी वार्ड’ में भर्ती कराया गया था.
राजगोपाल ने मद्रास उच्च न्यायालय के उन्हें दोषी ठहराने के फैसले के खिलाफ मार्च में उच्चतम न्यायालय में अपील की थी, जिसे उसने ठुकरा दिया था.
उच्च न्यायालय ने 2009 में एक स्थानीय अदालत की ओर से राजगोपाल को दिए गए दस साल के कारावास और हत्या के मामले में आठ अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
उच्चतम न्यायालय ने राजकुमार शांतकुमार की हत्या के आरोप में दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए राजगोपाल को निचली अदालत में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था.
राजगोपाल को अक्टूबर,2001 में एक कर्मचारी की हत्या के मामले में सजा सुनाई गई थी. वह अपने एक कर्मचारी की हत्या करके उसकी पत्नी से शादी करना चाहता था.