राफेल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सामने आई चौकीदार की चोरी: कांग्रेस


there is economical emergency in country says congress

 

राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

कांग्रेस ने कहा है कि राफेल सौदे में भ्रष्टाचार पर सरकार ने एक झूठ को छिपाने के लिए सौ झूठ बोले, लेकिन अंत में सच्चाई सामने आ गई है.

कांग्रेस पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार ने राफेल सौदे से जुड़े कई पहलुओं पर सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला है.

पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राफेल पर कैग की रिपोर्ट ने उसे क्लीनचिट दे दी है, लेकिन बाद में पता चला कि राफेल पर कैग की रिपोर्ट ना तो बनी थी और ना ही संसद में पेश हुई थी.

कांग्रेस पार्टी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देकर सुप्रीम कोर्ट में राफेल की कीमत बताने से इंकार कर दिया ताकि यह तथ्य सामने ना आ सके कि 500 करोड़ का राफेल 1600 करोड़ में खरीदकर देश को चूना क्यों लगाया गया.

वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी नहीं बताया कि राफेल खरीद कीमत के लिए बनाई गए भारतीय मोलभाव दल को दरकिनार कर प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे मोलभाव कर रहा था.

कांग्रेस पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी नहीं बताया कि राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन को फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय मोलभाव दल, कानून मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के एतराज को दरकिनार करते हुए सौदे से बैंक गारंटी की शर्त हटा दी गई.

पार्टी ने प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी छिपाया कि सौदे में बिचौलिया ना होने और भ्रष्टाचार होने की स्थिति में कंपनी को सजा देने वाली शर्तों को गुपचुप तरीके से खत्म कर दिया गया.

इसके साथ कांग्रेस पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी छिपाया कि राफेल जहाज में लगने वाली इंडिया स्पेशिफिक एनहांसमेंट के लिए सरकार ने प्रति जहाज 208 करोड़ रुपये देने का निर्णय ले लिया.

कांग्रेस पार्टी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी छिपाया कि भारतीय मोलभाव दल के तीन टेक्निकल सदस्यों के मुताबिक राफेल को आने में 10 साल लगेंगे क्योंकि राफेल बनाने वाली कंपनी के पास 83 राफेल बनाने का बैकलॉग ऑर्डर पहले से ही है.

पार्टी ने प्रेस विज्ञप्ति के आखिर में कहा कि इन सब बातों का सार यही है कि जब भारतीय मोलभाव दल के सारे दस्तावेज द हिंदू अखबार में सामने आ गए तो सरकार ने गोपनीयता कानून का हवाला देकर पत्रकारों को जेल भेजने की धमकी दे डाली.

पार्टी ने आगे कहा कि आज सच्चाई बाहर आ गई है जब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि सरकार गोपनीयता कानून की आड़ में सबूतों की जांच नहीं रोक सकती है.

पार्टी ने कहा कि अब जांच होगी और चौकीदार और उसके दोस्तों को सजा मिलेगी.


ताज़ा ख़बरें